नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार (15 फरवरी) की रात 9.30 बजे के आसपास हुई भगदड़ की घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है।
'हादसों के रोकथाम के लिए बने एक्सपर्ट कमेटी'
इस याचिका में ऐसे हादसों की रोकथाम के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी के गठन की मांग की गई है। इस भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें 14 महिलाएं शामिल थीं, जबकि कई लोग घायल हुए थे।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक याचिकाकर्ता एडवोकेट विशाल तिवारी ने अदालत से आग्रह किया है कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की 2014 की रिपोर्ट "कार्यक्रमों और सामूहिक सभा के स्थानों पर भीड़ प्रबंधन" को लागू किया जाए। रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा उपायों में सुधार किया जाए, जैसे: गलियारों को चौड़ा करना, बड़े ओवरब्रिज और प्लेटफॉर्म का निर्माण, रैंप और एस्केलेटर की सुविधा, अंतिम समय में प्लेटफॉर्म बदलने से बचना, स्टेशन की क्षमता से अधिक टिकट वितरण न करना।
भगदड़ का कारण
याचिकाकर्ता के अनुसार, हादसा प्रयागराज जाने वाली ट्रेन के प्रस्थान प्लेटफॉर्म में अंतिम समय में किए गए बदलाव के कारण हुआ। इस दौरान भीड़ अनियंत्रित हो गई, जिससे भगदड़ मच गई। उन्होंने यह भी बताया कि इससे पहले भी रेलवे स्टेशनों पर इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं। हालांकि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने बताया कि अचानक भीड़ को नियंत्रित करने के लिए चार विशेष ट्रेनें चलाई गईं और अब स्थिति नियंत्रण में है।
हर घंटे 1500 जनरल टिकट बेचे जा रहे थे
बता दें कि घटना रात 9:55 बजे हुई, जब हजारों श्रद्धालु प्रयागराज जाने के लिए स्टेशन पर मौजूद थे। स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस और भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस की देरी ने भी भीड़ को बढ़ा दिया। हर घंटे 1500 जनरल टिकट बेचे जा रहे थे, जिससे भीड़ लगातार बढ़ती गई। प्लेटफार्म नंबर 14 और 16 के पास एस्केलेटर के पास भगदड़ मच गई।
अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी, जिसमें रेलवे और प्रशासन की जिम्मेदारी पर सवाल उठ सकते हैं। अदालत यह भी देखेगी कि भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जा सकते हैं।