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नई दिल्ली: चुनावी बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। इस सुनवाई दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) से कहा है कि हम जो जानकारी आपसे चाहते हैं वो आप अभी तक नहीं दे पाएं है। हमने आपसे जो भी जानकारी मांगी है उसे देने के लिए आप बाध्य हैं और आपको हर जानकारी विस्तार से देनी होगी। कोर्ट ने आगे कहा है कि एसबीआई को बॉन्ड नंबर देना होगा। साथ ही बॉन्ड से जुड़ी हर जानकारी भी कोर्ट को देनी होगी। कोर्ट ने आगे कहा कि एसबीआई हलफनामा देकर बताए कि उसने कोई जानकारी नहीं छिपाई है। इस पर एसबीआई ने कहा है कि हम चुनावी बॉन्ड नंबर देंगे।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) ने कहा कि हम चाहते हैं कि चुनावी बॉन्ड से संबंधित सभी जानकारी का खुलासा किया जाए जो आपके पास है। जबकि एसबीआई का रवैया ऐसा है कि अदालत बताए कि किस किस का खुलासा करना है। इस पर हरीश साल्वे ने कहा कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों का डेटा मांगा था।

इस पर सीजेआई ने कहा कि हम मानते हैं कि आप किसी राजनीतिक पार्टी की ओर से दलील नहीं दे रहे हैं। साल्वे ने आगे कहा कि हम ये देख रहे हैं कि अदालती आदेश को कैसे समझा जाए। 2019 में अदालत ने सिर्फ राजनीतिक पार्टियों के चंदे का ब्यौरा मांगा था।

सीजेआई ने पूछा सवाल

सीजेआई ने पूछा कि एसबीआई बॉन्ड का डेटा किस फॉरमेट में रखा है? एल्फा न्यूमेरिक के पीछे क्या मंशा है? सिक्योरिटी को लेकर? एल्फा न्यूमेरिक को स्कैन करके क्या जानकारी आती है? अगर बॉन्ड को भुनाया जाता था तो ये कैसे पता चलता है कि वो फेक नहीं है? हम साफ कर देना चाहते हैं कि एसबीआई ना सिर्फ बॉन्ड नंबर देगा बल्कि सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देगा कि उसने कोई जानकारी नहीं छिपाई है। आपको किसी भी हालत सारी जानकारी देनी होगी।

इस पर साल्वे ने कहा कि हम यह करेंगे। यह सिर्फ इतना है कि मीडिया हमेशा हमारे पीछे है, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वे एसबीआई को निशाने पर लेंगे, अवमानना के आरोप में उन्हें जिम्मेदार ठहराएंगे। साथ ही याचिकाकर्ता पब्लिक में इंटरव्यू दे रहे हैं कि हमनें एसबीआई को काम पर लगा दिया है। एसबीआई ने आगे कहा कि आइडिया ये था कि मतदाता के पास जानकारी पहुंचे। लेकिन एक सेफगार्ड का होना जरूरी है कि एक पीआईएल इंडस्ट्री न हो कि ये जांच करो ये करो।

केंद्र ने भी रखी अपनी बात

इसके बाद केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आपने फैसला दिया। लेकिन कोर्ट के बाहर कुछ दूसरी तरफ से इसे लिया जा रहा है। गंभीर मामला एसबीआई के अर्जी के बाद सामने आया है। उसके बाद प्रेस में इंटरव्यू देना शुरू किया गया। सोशल मिडिया पर भी अलग तरीके से चलाया गया। अगर किसी ने किसी को पैसा दिया तो उसके बाद सब अपने अपने तरीके से उसे देखेंगे। आंकड़ों को किसी तरह से तोड़ा-मरोड़ा जा सकता है। टेढ़े-मेढ़े आंकड़ों के आधार पर किसी भी तरह की पोस्ट की जाती हैं। क्या आप एक निर्देश जारी करने पर विचार करेंगे। क्या आप कहेंगे कि रोहतगी ने यह पैसा दिया, इसके अपने निष्कर्ष होंगे। मीडिया में कैंपेन चलाया या कि जजों को इंप्रेस किया जा सके।

सीजेआई ने सुनवाई के दौरान कहा कि जज के रूप में हम केवल कानून के शासन पर हैं और संविधान के अनुसार काम करते हैं। हमारा न्यायालय केवल इस राज्य व्यवस्था में कानून के शासन के लिए काम करने के लिए है। जज के रूप में सोशल मीडिया पर भी हमारी चर्चा होती है लेकिन हमारे कंधे इतने चौड़े हैं कि हम इसे स्वीकार कर सकें। हम केवल फैसले के पैरा बी और सी में अपने निर्देशों को लागू कर रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि हमें इसमें जाने की जरूरत नहीं है। हाल ही में एक इंटरव्यू में मुझसे एक फैसले की आलोचना के बारे में पूछा गया। मुझे यह बताने की जरूरत नहीं है कि कौन सा फैसला आया। एक बार निर्णय घोषित हो जाने के बाद, यह राष्ट्र की संपत्ति है।

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