नई दिल्ली: आर्थिक सुधार के उपायों को अमल में लाने की कवायद के तहत केंद्र सरकार ने गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। सरकार ने कांग्रेस प्रमुख से कहा कि यदि उनकी पार्टी वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) विधेयक को समर्थन करना चाहती है तो संसद का बजट सत्र तय समय से पहले बुलाया जा सकता है। केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने सुबह सोनिया गांधी से उनके निवास पर मुलाकात की और कहा कि पार्टी प्रस्तावित सुधारों में उनकी (कांग्रेस ) पार्टी की मांग को शामिल करने को लेकर रजामंद है। इससे संघीय और राज्यों में एक जैसी कर व्यवस्था का रास्ता साफ होगा। कांग्रेस ने अभी तक जीएस बिल को 'खामी से भरा' बताते हुए इसका समर्थन करने से इनकार कर दिया है। पार्टी इसमें न्यूनतम टैक्स प्रतिशत और इसके ढांचे को सरल बनाने की मांग कर रही है। कांग्रेस समर्थन देने के लिए विधेयक में तीन बदलाव की मांग कर रही है, जिसमें जीएसटी की अधिकतम दर को संविधान में लिखा जाना भी शामिल हैं।
जेटली ने कहा कि अधिकतर राज्य जीएसटी के लिए तैयार हैं और इसे साल के मध्य में भी लागू किया जा सकता है। संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त होने से पहले पिछले माह केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि राज्यों के कर समाप्त करने की मांग काफी हद तक तर्कसंगत है और अगर इससे राज्यों को राजस्व का नुकसान होता है तो केंद्र इसकी भरपाई करने के लिए तैयार है। संसद का बजट सत्र फरवरी माह के अंतिम सप्ताह में शुरू होना है। इस बात पर विचार किया जा रहा है कि अगर रजामंदी बने तो इसे तय समय से पहले बुलाया जाए। जीएसटी जैसे कई महत्वपूर्ण बिल लंबित पड़े हैं जिन्हें सरकार ने लोकसभा में तो पास करा लिया है लेकिन विपक्ष के हमलावर रुख़ की वजह से सरकार उन विधेयकों को पास कराने में अब तक नाक़ाम रही है।जीएसटी को अप्रैल से लागू किया जाना है। इसके लिए जरूरी है कि अप्रैल से पहले पारित कराया जाए।