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संयुक्त राष्ट्र: भारत ने पठानकोट आतंकी हमले के मास्टरमाइंड मसूद अजहर पर प्रतिबंध नहीं लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति की कार्यशैली पर सवाल उठाया है। भारत ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के सदस्यों को कभी भी आतंकियों पर प्रतिबंध लगाने के अनुरोध स्वीकार न करने का कारण नहीं बताया जाता। आखिर किस वजह से यूएन ने मसूद पर प्रतिबंध नहीं लगाया, इसकी वजह बताई जानी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने गुरुवार को सुरक्षा परिषद की अलकायदा एवं तालिबान से जुड़ी प्रतिबंध समितियों के कामकाज को लेकर अपनाई जाने वाली गोपनीयता की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य आतंकियों को प्रतिबंधित करने के अनुरोधों पर कैसे फैसला लेते हैं। इसे लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा के सदस्यों को अंधेरे में रखा जाता है। उन्होंने एक खुली बहस के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा कि अलकायदा, तालिबान और आईएस से संबंधित प्रतिबंध समितियों की प्रक्रियाओं को लेकर सर्वसम्मति और गोपनीयता की समीक्षा की जरूरत है। पिछले महीने यूएन में मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने पर फैसला होना था।

कमेटी में शामिल 15 में से 14 देश इसके हक में थे। मसूद पर प्रतिबंध लगाने के लिए अमेरिका,फ्रांस जैसे देश थे। सिर्फ चीन ने इसके विरोध में गुप्त वीटो का इस्तेमाल कर दिया। हैरानी की बात ये है कि चीन ने इसकी वजह भी नहीं बताई। हालांकि, माना जा रहा है कि चीन ने पाकिस्तान की वजह से ऐसा किया। भारत के कड़े विरोध के बाद चीन ने मसूद पर प्रतिबंध नहीं लगाने के अपने फैसले का बचाव किया था। चीन सरकार के नेता ल्यू जिनसोंग ने कहा था, यूएन द्वारा किसी शख्स को आतंकी करार दिया जाना बेहद संवेदनशील मामला है। कौन सही है, कौन गलत, इस मसले पर हमारा देश जज नहीं हो सकता।

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