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नई दिल्ली: पिछले दो साल बरसात में कमी और सूखे जैसी स्थिति के बाद सरकार ने सोमवार को कहा कि इस वर्ष मानसून के सामान्य रहने की उम्मीद है। उसने तथा राज्यों को निर्देश दिया कि वे जून से शुर होने वाली खरीफ सत्र में फसल का रकबा और उत्पादन बढ़ाने की योजना तैयार करे। कृषि सचिव शोभना के पटनायक ने वर्ष 2016.17 के लिए खरीफ अभियान को शुरु करने के लिए एक रारष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, अल नीनो (समुद्री सतह के तामान में बदलवा की घटना) के प्रभाव में गिरावट आ रही है। ऐसी उम्मीद है कि इसके बाद ‘ला नीना’ की स्थिति आयेगी और जिससे इस वर्ष मानसून बेहतर हो सकता है। मौसम विभाग का अनुमान इस माह के उत्तरार्ध में आयेगा जिसमें मानसून की स्पष्ट तस्वीर सामने आयेगी। कमजोर मानसून के कारण भारत का खाद्यान्न उत्पाइन फसल वर्ष 2014.15 (जुलाई से जून) में घटकर 25 करोड़ 20.2 लाख टन रह गया जो उसके पिछले वर्ष रिकॉर्ड 26 करोड़ 50.4 लाख टन के स्तर पर था। देश में 14 प्रतिशत कम बरसात होने के बावजूद चालू फसल वर्ष 2015.16 में उत्पादन मामूली बढ़त के साथ 25 करोड़ 31.6 लाख टन होने का अनुमान है।

दो लगातार वषरे में कमजोर मानसून रहने के कारण देश में कृषि संकट और जल की कमी का संकट उत्पन्न हुआ है। कृषि सचिव ने राज्य सरकारों से कहा है कि बीज, उर्वरक और अन्य कृषि लागतों की पर्याप्त उपलब्धता को सुनिश्चित करते हुए धान और दलहन जैसी खरीफ (गरमी) की फसलों की बुवाई की पहले से तैयारी कर लें। विगत दो वर्ष में सामान्य से कम बरसात ने किसानों और संसाधनों के लिए संकट पैदा किया है। भूमि में नमी की सख्त कमी है। फरवरी में आर्थिक सर्वे में भी कहा गया था कि पिछले वर्ष जो प्रतिकूल मौसम पूरे देश में था वह संभवत: इस वर्ष नहीं होगा। हालांकि इसमें सुझाया गया है कि सरकार को फिर भी दलहन जैसी फसलों के लिए पहले से न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करने के अलावा किसी भी विषम स्थिति से निपटने के लिए आपदा योजना के साथ तैयार रहना चाहिये।

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