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नई दिल्ली: मालदीव के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज (सोमवार) इस द्वीपीय राष्ट्र को हर संभव मदद का वादा किया, जिनमें बंदरगाहों का विकास, उसके सशस्त्र बलों का प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण के अलावा उपकरण की आपूर्ति और समुद्री निगरानी शामिल है। मोदी और मालदीव के आगंतुक राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन अब्दुल गयूम के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद दोनों देश अहम क्षेत्र पर एक कार्ययोजना के लिए सहमत हुए। दरअसल, प्रधानमंत्री ने हिंद महासागर क्षेत्र में पारस्परिक सुरक्षा मुहैया करने वाले के तौर पर भारत की हिमायत की। मोदी ने कहा कि यह भारत के सामरिक हित में है कि एक स्थिर और सुरक्षित मालदीव हो और इसकी चुनौतियां भारत की चिंताएं हैं। हिंद महासागर क्षेत्र में एक पारस्परिक सुरक्षा प्रदानकर्ता के रूप में भारत की भूमिका का जिक्र दोहराते हुए मोदी ने कहा कि देश इस क्षेत्र में अपने सामरिक हितों की सुरक्षा करने को तैयार है। वहीं, यामीन ने कहा कि उनका देश ‘भारत पहले’ की विदेश नीति पर चलता है और इसे मालदीव का सबसे महत्वपूर्ण दोस्त बताया। वार्ता के बाद रक्षा सहयोग के लिए एक ‘कार्य योजना’ पर हस्ताक्षर किया गया जो रक्षा सचिवों के स्तर पर संस्थागत तंत्र का मार्ग प्रशस्त करेगा ताकि द्विपक्षीय रक्षा सहयोग और मजबूत हो सके।

इनमें बंदरगाहों का विकास, लगातार प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण, उपकरणों की आपूर्ति और समुद्री निगरानी शामिल है। यह हिंद महासागर क्षेत्र में साझा रणनीतिक और सुरक्षा हितों को जाहिर करता है। वार्ता में इस बात पर भी सहमति बनी कि भारत एक पुलिस एकेडमी खोलेगा, मालदीव के रक्षा मंत्रालय भवन का निर्माण करने के अलावा सुरक्षा से जुड़े बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में तेजी लाएगा। यह घटनाक्रम ऐसे वक्त में हुआ है जब चीन मालदीव में अपनी पैठ बना रहा है। चीन समूचे मालदीव में कई आधारभूत परियोजनाओं को कोष प्रदान कर रहा है। राजधानी माले और हवाईअड्डा द्वीप हुलहुले के बीच पुल का निर्माण तथा इसके मुख्य अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा का विकास जैसे मालदीव सरकार के चुनावी वादों के लिए भी चीन रियायती रिण पर विचार कर रहा है।

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