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क्लीवलैंड (अमेरिका): बुश के कार्यकाल में साल 2005 में व्हाइट हाउस गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिकी वीजा न देने के खिलाफ था। यह जानकारी तत्कालीन उप राष्ट्रपति डिक चेनी के राष्ट्रीय सुरक्षा स्टाफ में काम करने वाले पूर्व प्रशासनिक अधिकारी ने दी है। चेनी के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे स्टीफन येट्स ने गुरुवार को यहां भारतीय पत्रकारों के एक समूह को बताया, ‘मुझे नहीं लगता कि व्हाइट हाउस (जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल में) में कोई इसके (मोदी को वीजा न देने) पक्ष में बोला था। यह पूछे जाने पर कि क्या बुश के समय व्हाइट हाउस मोदी को वीजा न देने के खिलाफ था, इदाहो रिपब्लिकन पार्टी के अध्यक्ष ने कहा ‘हां’। येट्स से सवाल किया गया कि रिपब्लिकन प्रशासन जो अब मोदी से मजबूत संबंध बनाने को इच्छुक है, उसने तब मोदी को अमेरिकी वीजा देने से इनकार क्यों कर दिया था? इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘उस वक्त व्हाइट हाउस का कोई भी माकूल उच्च अधिकारी निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल होने लायक नहीं दिखा।’ साल 2005 में विदेश मंत्रालय ने मोदी का अमेरिकी वीजा इस आधार पर रद्द कर दिया था कि गुजरात में साल 2002 में हुए दंगों में मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है। विदेशी मामलों पर रिपब्लिकन प्लेटफॉर्म उप समिति के सदस्य रह चुके येट्स ने कहा, ‘विदेश विभाग ने प्रतिबंध जारी रखा और सही पूछें तो व्हाइट हाउस में हममें से कई लोगों को यह लगता था कि यह अनुचित है।’

काबुल: अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अल्पसंख्यक हजारा समुदाय के विरोध प्रदर्शन में हुए आत्मघाती बम हमले में कम से कम 80 लोगों की मौत हो गई, जबकि 231 अन्य घायल हुए हैं। स्थानीय समाचार एजेंसी अमाक़ के अनुसार, आतंकी संगठन आईएसआईएस ने इस हमले की जिम्मेदारी की है। जनस्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद इस्माइल कवौसी ने बम हमले की पुष्टि करते हुए कहा था कि कम से कम 61 लोग मारे गए और 200 से ज्यादा घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। उन्होंने बताया था कि हताहतों की संख्या में इजाफा हो सकता है। टीवी पर दिख रही तस्वीरों में धमाके वाली जगह पर कई शव बिखरे देखे जा सकते हैं। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने पुलिस के हवाले से बताया कि राजधानी में एक प्रमुख विद्युत ट्रांसमिशन लाइन के विरोध में अल्पसंख्यक हज़ारा शियाओं का समूह प्रदर्शन कर रहे थे, जिस दौरान यह बम धमाका हुआ। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि यह विद्युत लाइन गरीबी से जूझ रहे उनके गृह प्रांत से होकर ले जाई जाए। विरोध मार्च के आयोजनकर्ताओं में शामिल लैला मुहम्मदी ने कहा कि वह धमाके के ठीक बाद प्रदर्शन स्थल पर पहुंची थी और वहां उन्होंने 'कई मृतकों और घायल लोगों को देखा'। वहीं एक प्रत्यक्षदर्शी रमीन अंसारी ने बताया कि देमाजांग इलाके में उन्होंने करीब 8 शव देखे। प्रदर्शनकारियों ने चार घंटे की मार्च के बाद इसी जगह कैंप लगा रखा था।

वाशिंगटन: डेमोक्रेटिक पार्टी की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने टिम केन को उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार चुना है। सुलझे हुए राजनीतिज्ञ और वर्जीनिया से सीनेटर केन हिलेरी के उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार होंगे । हिलेरी का खुद का मुकाबला नवंबर में होने वाले चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप से होगा। फिलाडेल्फिया में होने वाले डेमोकेट्रिक नेशनल कन्वेंशन में अभी कुछ दिन का समय बाकी है। हिलेरी क्लिंटन ने बीती रात ट्वीट किया,‘अपने रनिंग मेट टिम केन के नाम की घोषणा करके मुझे खुशी हो रही है। वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन दूसरों के लिए संघर्ष करने में लगा दिया।’ उन्होंने कहा, ‘टिम केन एक कभी न हार मानने वाले आशावादी हैं जिनका मानना है कि कोई समस्या अनसुलझी नहीं रह सकती यदि आप उसे सुलझाना चाहते हैं तो ।’ 58 वर्षीय केन वर्जीनिया के पूर्व गवर्नर हैं। वह 2013 में अमेरिकी सीनेट के लिए चुने गए थे। वह सीनेट इंडिया कॉकस के भी सदस्य हैं।उन्होंने अक्तूबर 2014 में कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत की यात्रा की थी। अपने समर्थकों को भेजे एक ईमेल संदेश में 68 वर्षीय पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी ने कहा, ‘वह सही मायने में एक अच्छे इंसान हैं लेकिन टिम कमजोर नहीं हैं । वह अमेरिकी परिवारों के हितों के लिए अपनी जान लड़ा देंगे तथा डोनाल्ड ट्रंप और माइक पेंस के खिलाफ हमारे अभियान में वह कड़ी टक्कर देंगे।’

बर्लिन: जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल म्यूनिख में हुई घातक गोलीबारी की घटना के बाद अपनी सुरक्षा परिषद की बैठक बुला रही हैं।उनके चीफ आफ स्टाफ पीटर अल्तमेयर ने यह जानकारी दी।अल्तमेयर ने जेडीएफ सरकारी टेलीविजन को कल बताया कि मर्केल को दक्षिणी शहर के ताजा घटनाक्रम को लेकर लगातार जानकारी दी जा रही है। उन्होंने बताया, ‘संबंधित कैबिनेट मंत्री बर्लिन पहुंच रहे हैं।’ चांसलर और चीफ आफ स्टाफ के अलावा जर्मन सुरक्षा परिषद में विदेश , रक्षा और गृह मामलों के मंत्री तथा अन्य शीर्ष अधिकारी शामिल हैं।अल्तमेयर ने बताया कि परिषद सभी उपलब्ध सूचनाओं को एकत्र करेगी और उसका मूल्यांकन करेगी। उन्होंने कहा, ‘हम वह सब करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो हम कर सकते हैं क्योंकि आतंक और अमानवीय हिंसा के लिए जर्मनी में कोई जगह नहीं है ।’’ उन्होंने कहा, ‘हमले में मारे गए लोगों के परिजन तथा स्वतंत्रता और सुरक्षा की रक्षा में लगे पुलिस बल के प्रति हमारी संवेदना है ’

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