काबुल: अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अल्पसंख्यक हजारा समुदाय के विरोध प्रदर्शन में हुए आत्मघाती बम हमले में कम से कम 80 लोगों की मौत हो गई, जबकि 231 अन्य घायल हुए हैं। स्थानीय समाचार एजेंसी अमाक़ के अनुसार, आतंकी संगठन आईएसआईएस ने इस हमले की जिम्मेदारी की है। जनस्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद इस्माइल कवौसी ने बम हमले की पुष्टि करते हुए कहा था कि कम से कम 61 लोग मारे गए और 200 से ज्यादा घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। उन्होंने बताया था कि हताहतों की संख्या में इजाफा हो सकता है। टीवी पर दिख रही तस्वीरों में धमाके वाली जगह पर कई शव बिखरे देखे जा सकते हैं। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने पुलिस के हवाले से बताया कि राजधानी में एक प्रमुख विद्युत ट्रांसमिशन लाइन के विरोध में अल्पसंख्यक हज़ारा शियाओं का समूह प्रदर्शन कर रहे थे, जिस दौरान यह बम धमाका हुआ। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि यह विद्युत लाइन गरीबी से जूझ रहे उनके गृह प्रांत से होकर ले जाई जाए। विरोध मार्च के आयोजनकर्ताओं में शामिल लैला मुहम्मदी ने कहा कि वह धमाके के ठीक बाद प्रदर्शन स्थल पर पहुंची थी और वहां उन्होंने 'कई मृतकों और घायल लोगों को देखा'। वहीं एक प्रत्यक्षदर्शी रमीन अंसारी ने बताया कि देमाजांग इलाके में उन्होंने करीब 8 शव देखे। प्रदर्शनकारियों ने चार घंटे की मार्च के बाद इसी जगह कैंप लगा रखा था।
इस आत्मघाती हमले से गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने चौराहे के आसपास के इलाके को सील कर दिया और पुलिस एवं अन्य सुरक्षा बलों को दाखिल होने से रोक दिया। कुछ लोगों ने सुरक्षा बलों पर पत्थर भी फेंके। इस बीच राष्ट्रपति अशरफ गनी ने एक बयान जारी कर धमाके की निंदा की है। गनी ने कहा, 'शांतिपूर्ण प्रदर्शन अफगानिस्तान के हर नागरिक का अधिकार है और सरकार उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने के लिए हरसंभव कदम उठाएगी।'