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लिस्बन: फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने यूरोप से एक संयुक्त मोर्चा बनाकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ‘कड़ी’ प्रतिक्रिया देने को कहा है। ओलांद ने दक्षिणी यूरोपीय संघ के नेताओं की सभा में यह बात कही। इस सभा में हिस्सा लेने वाले नेताओं के साथ मौजूद ओलांद ने कहा, ‘हमें अमेरिका के नए प्रशासन से मजबूती से बात करना चाहिए, जिसने ऐसे संकेत दिए हैं कि हम लोगों के द्वारा झेली जा रही समस्याओं से निपटने के लिए उनके पास अपना एक अलग नजरिया है।’ ट्रंप ने अमेरिका के पारंपरिक यूरोपीय सहयोगियों को बड़े बदलाव वाली योजनाओं की सीरीज से परेशानी में ला दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा मे के साथ शुक्रवार को हुई बैठक के दौरान कहा था कि नाटो अप्रसांगिक हो चुका है और उन्होंने घोषणा की है कि वह ट्रांस अटलांटिक कारोबार योजना को खत्म करेंगे। इसके साथ ही राष्ट्रपति ने ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के फैसले की भी प्रशंसा की। ट्रंप ने शरणार्थियों के आने पर निर्धारित समय के लिए रोक लगाने और मुस्लिम बहुल सात देशों के अमेरिका आगमन पर कड़े नियंत्रण लागू करने वाले शासकीय आदेश पर शुक्रवार को हस्ताक्षर किए थे। फ्रांस के राष्ट्रपति ओलांद ने ट्रंप से पहली बार शनिवार को फोन पर हुई बातचीत में ‘आर्थिक और राजनीतिक संरक्षणवादी नजरिए के परिणामों’ पर जोर दिया।

वॉशिंगटन: बढ़ती आलोचनाओं से बेफिक्र अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 7 मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों पर प्रतिबंध लगाने वाले विवादित आव्रजन आदेश का आज बचाव करते हुये कहा कि यह मुस्लिमों पर लगाया गया प्रतिबंध नहीं है और इस आदेश पर बहुत अच्छी तरह काम हो रहा है। ट्रंप के इस आदेश से देशभर के हवाईअड्डों पर असमंजस की स्थिति पैदा हो गयी है और विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा, ‘यह बहुत अच्छी तरह काम कर रहा है। आप हवाईअड्डों पर इसे देख सकते हैं, हर जगह इसे देख सकते हैं।’ हालांकि उन्होंने इस बात को खारिज किया कि कई मुस्लिम देशों के शरणार्थियों पर रोक लगाने का मतलब मुस्लिमों पर प्रतिबंध लगाना है। आईएस को हराने की योजना और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के पुनर्गठन का समर्थन करने वाले प्रतिबंध से संबंधित तीन और शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर करने के बाद ट्रंप ने कहा, ‘यह मुस्लिमों पर लगाया गया प्रतिबंध नहीं है लेकिन हम पूरी तरह से तैयार हैं।’ ट्रंप ने अमेरिका को कट्टर इस्लामिक आतंकवादियों से दूर रखने के नए कदमों के तहत सात मुस्लिम बहुल देशों के लोगों के अमेरिका में प्रवेश करने पर सघन जांच और अगले आदेश तक सीरियाई शरणार्थियों के प्रवेश पर रोक लगाने का कल आदेश दिया था। ट्रंप ने राष्ट्रपति का पद संभालने के एक सप्ताह बाद ही इस विवादास्पद आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए। जिन देशों के लोगों पर प्रतिबंध लगाया गया है उनमें ईरान, इराक, सीरिया, सूडान, लीबिया, यमन और सोमालिया शामिल हैं।

वाशिंगटन: एक संघीय जज ने आज राष्ट्रपति ट्रंप के अस्थायी आव्रजन प्रतिबंध के कुछ हिस्से को अवरूद्ध करते हुए अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे अमेरिकी हवाईअड्डों पर फंसे शरणार्थियों और अन्य यात्रियों को निर्वासित करना बंद करें।अमेरिकी सिविल लिबर्टीज यूनियन के वकीलों ने ट्रंप के शासकीय आदेश को रोकने के लिए सरकार पर मुकदमा किया था। अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट जज एन डोनले की ओर से कल फैसला सुनाए जाने के बाद इन वकीलों ने ट्वीट किया, ‘जीत हुई।’ ट्वीट में कहा गया, ‘हमारी अदालतों ने आज ठीक वैसे ही काम किया, जैसा उन्हें सरकारी प्रताड़ना या असंवैधानिक नीतियों और आदेशों के खिलाफ एक अवरोधक के रूप में करना चाहिए।’ फ़ैसले के बाद उत्साही भीड़ ने अदालत के बाहर उनका स्वागत किया। हांलाकि शनिवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि उनका आदेश मुसलमानों पर प्रतिबंध नहीं हैं। गौरतलब है कि राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद अपने पहले पेंटागन दौरे में ट्रंप ने इस बाबत एक शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। हस्ताक्षर करने के बाद ट्रंप ने कहा था, ‘मैं चरमपंथी इस्लामी आतंकियों को अमेरिका से बाहर रखने के लिए कठोर जांच के नए नियम तय कर रहा हूं। हम उन्हें यहां नहीं चाहते।’ शासकीय आदेश ‘विदेशी आतंकीयों का अमेरिका में प्रवेश रोक कर देश की सुरक्षा’ में कहा गया है कि 9/11 के बाद अमेरिका ने जो कदम उठाए, वे आतंकियों का देश में प्रवेश रोकने में कारगर नहीं रहे हैं।

बीजिंग: चीन के सरकारी मीडिया में आई खबरों में कहा गया है कि चीन अमेरिका के साथ संभावित सैन्य टकराव की तैयारियों में जुट गया है। ये खबरें ऐसे वक्त में आई हैं जब अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि दक्षिण चीन सागर विवाद और अन्य मुद्दों पर बीजिंग के दावों का मुकाबला करने के लिए वह पहले से ज्यादा सख्त नीति अमल में लाएंगे। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की आधिकारिक वेबसाइट पर 20 जनवरी के एक आलेख में कहा गया है कि एशिया-प्रशांत में पहले से ज्यादा जटिल सुरक्षा स्थिति के बीच युद्ध की आशंका ‘ज्यादा प्रबल’ हो गई है। चीन की सर्वोच्च सैन्य संस्था केंद्रीय सैन्य आयोग के राष्ट्रीय रक्षा संचालन विभाग के एक अधिकारी की ओर से लिखे आलेख में कहा गया कि अमेरिका एशिया में अपनी रणनीति को फिर से संतुलित करने, पूर्वी एवं दक्षिण चीन सागरों में सैन्य तैनाती और दक्षिण कोरिया में एक मिसाइल रक्षा प्रणाली स्थापित करने की बातें कर रहा है, जिससे बात बिगड़ने की आशंका है। हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने इस आलेख के हवाले से लिखा, ‘राष्ट्रपति के कार्यकाल में’ या ‘आज रात युद्ध शुरू होने वाला है’ ये सिर्फ नारे नहीं हैं, बल्कि यह व्यावहारिक वास्तविकता है।’ सरकारी अखबार पीपुल्स डेली ने बीते रविवार को एक अन्य आलेख में कहा कि चीन की सेना खुले सागर में अभ्यास करेगी, चाहे विदेशी उकसावे हों या न हों।’

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