वाशिंगटन: एक संघीय जज ने आज राष्ट्रपति ट्रंप के अस्थायी आव्रजन प्रतिबंध के कुछ हिस्से को अवरूद्ध करते हुए अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे अमेरिकी हवाईअड्डों पर फंसे शरणार्थियों और अन्य यात्रियों को निर्वासित करना बंद करें।अमेरिकी सिविल लिबर्टीज यूनियन के वकीलों ने ट्रंप के शासकीय आदेश को रोकने के लिए सरकार पर मुकदमा किया था। अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट जज एन डोनले की ओर से कल फैसला सुनाए जाने के बाद इन वकीलों ने ट्वीट किया, ‘जीत हुई।’ ट्वीट में कहा गया, ‘हमारी अदालतों ने आज ठीक वैसे ही काम किया, जैसा उन्हें सरकारी प्रताड़ना या असंवैधानिक नीतियों और आदेशों के खिलाफ एक अवरोधक के रूप में करना चाहिए।’ फ़ैसले के बाद उत्साही भीड़ ने अदालत के बाहर उनका स्वागत किया। हांलाकि शनिवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि उनका आदेश मुसलमानों पर प्रतिबंध नहीं हैं। गौरतलब है कि राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद अपने पहले पेंटागन दौरे में ट्रंप ने इस बाबत एक शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। हस्ताक्षर करने के बाद ट्रंप ने कहा था, ‘मैं चरमपंथी इस्लामी आतंकियों को अमेरिका से बाहर रखने के लिए कठोर जांच के नए नियम तय कर रहा हूं। हम उन्हें यहां नहीं चाहते।’ शासकीय आदेश ‘विदेशी आतंकीयों का अमेरिका में प्रवेश रोक कर देश की सुरक्षा’ में कहा गया है कि 9/11 के बाद अमेरिका ने जो कदम उठाए, वे आतंकियों का देश में प्रवेश रोकने में कारगर नहीं रहे हैं।
इसमें कहा गया, ‘विदेशों में जन्मे बहुत से लोगों को 11 सितंबर 2001 के बाद से आतंकवाद संबंधी गतिविधियों में या तो दोषी करार दिया गया है या आरोपी बनाया गया है। इनमें वे विदेशी नागरिक भी शामिल हैं, जो अमेरिका में पर्यटक, छात्र या रोजगार वीजा लेकर आए थे या फिर अमेरिका में शरणार्थी पुनर्वास कार्यक्रम के तहत यहां आए थे।’ इसमें कहा गया कि कई देशों में युद्ध, भुखमरी, आपदा और असैन्य अशांति से बिगड़ती स्थिति के कारण यह आशंका बढ़ गई है कि आतंकी अमेरिका में दाखिल होने के लिए कोई भी माध्यम अपनाएंगे। शासकीय आदेश में कहा गया कि वीजा जारी करते समय अमेरिका को सतर्क रहना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जिन्हें मंजूरी दी जा रही है, उनका इरादा अमेरिकियों को नुकसान पहुंचाने का न हो और उनका संबंध आतंकवाद से न हो। शासकीय आदेश अमेरिकी शरणार्थी प्रवेश कार्यक्रम को 120 दिन के लिए तब तक निलंबित करता है जब तक इसे ‘सिर्फ उन देशों के नागरिकों के लिए’ पुनर्भाषित न कर दिया जाए जिनकी ट्रंप के कैबिनेट के सदस्यों के अनुसार, पूरी तरह जांच की जा सकती है। यह आदेश इराक, सीरिया, ईरान, सूडान, लीबिया, सोमालिया और यमन के सभी लोगों को 30 दिन तक अमेरिका में दाखिल होने से रोकता है। ट्रंप ने कहा, ‘हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हम उन खतरों को अपने देश में न आने दें, जिनसे हमारे सैनिक विदेशों में लड़ रहे हैं। हम सिर्फ उन्हीं को अपने देश में आने देना चाहते हैं, जो हमारे देश को सहयोग देंगे और हमारी जनता से गहरा प्रेम करेंगे।’ नए रक्षामंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) जेम्स मैटिस और उपराष्ट्रपति माइक पेंस के साथ खड़े ट्रंप ने कहा, ‘हम 9/11 के सबक को और पेंटागन में शहीद हुए नायकों को कभी नहीं भूलेंगे। वे हममें से सर्वश्रेष्ठ थे। हम उनका सम्मान सिर्फ अपने शब्दों से ही नहीं, बल्कि हमारे कार्यों से भी करेंगे। आज हम वही कर रहे हैं।’ अफगानिस्तान, पाकिस्तान और सऊदी अरब जैसे अन्य देशों के मामले में शासकीय आदेश सघन जांच अपनाएगा। शासकीय आदेश के मुताबिक, ऐसे देशों की सूची को विस्तार दिया जाना है। ये वे देश होंगे, जो अमेरिकी वीजा के लिए आवेदन कर रहे अपने नागरिकों की जानकारी देने में विफल रहते हैं। क्रिश्चियन ब्रॉडकास्ट नेटवर्क को दिए साक्षात्कार में ट्रंप ने कहा कि वह ईसाई शरणार्थियों को प्राथमिकता देंगे। उन्होंने कहा, ‘हम उनकी मदद करेंगे।’ अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘उनके साथ बुरा बर्ताव किया जाता रहा है। क्या आप जानते हैं कि यदि आप सीरिया में हैं और एक ईसाई हैं तो अमेरिका में आना असंभव होता कम से कम बेहद मुश्किल तो था ही।’ ट्रंप ने कहा, ‘यदि आप मुस्लिम होते, तो आप आ सकते थे लेकिन यदि आप ईसाई होते तो यह लगभग असंभव था और इसके पीछे की वजह बहुत ही अनुचित थी। हर किसी को प्रताड़ित किया जा रहा था, वे सभी के सिर काट रहे थे लेकिन उनमें ज्यादा संख्या ईसाइयों की थी। मुझे लगता है यह बहुत गलत था।