कानपुर: हाथरस में सिकन्दराराऊ के ठाकुर राजपाल सिंह इंटर कॉलेज कपसिया में डेढ़ करोड़ रुपए के छात्रवृत्ति घोटाले में ईओडब्ल्यू ने सेवानिवृत्त जिला समाज कल्याण अधिकारी व प्रभारी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को गिरफ्तार कर पुलिस को सौंप दिया। कोर्ट में पेश करने पर न्यायिक हिरासत में उसे जेल भेज दिया गया।
आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) के एसपी बाबूराम ने बताया कि 2014 में तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, हाथरस शिवकुमार ने छात्रवृत्ति के नाम पर धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसकी जांच शासन के जरिए ईओडब्ल्यू, कानपुर के पास आई थी। तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी वीरेंद्र पाल सिंह ने गिरफ्तारी के खिलाफ स्टे ले रखा था। 31 अगस्त को स्टे खत्म होते ही उसको गिरफ्तार कर लिया गया। सिंह के पास ही तब अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी का भी प्रभार था। उसी दौरान फर्जीवाड़ा किया गया।
2012-13 में किया गया फर्जीवाड़ा
ईओडब्ल्यू एसपी ने बताया कि जांच में सामने आया है कि 2012-13 में ठाकुर राजपाल सिंह इंटर कॉलेज कपसिया के प्रबंधक धर्मवीर, प्रधानाचार्य आशीष पुंडीर, सहायक अध्यापक आदर्श पुंडीर और शांति देवी राजपाल सिंह जन कल्याण शिक्षा समित की अध्यक्ष बृजेश कुमारी के साथ मिलकर धोखाधड़ी की गई। फर्जी सूची और दस्तावेज तैयार करके एक करोड़ 52 लाख रुपए निकाले गए। उन्होंने बताया कि राजपाल सिंह इंटर कॉलेज में पढ़ रहे 50 अल्पसंख्यक छात्रों की जगह 720 की फर्जी सूची तैयार कर धन जारी करा लिया गया। इंस्पेक्टर शिव प्रसाद दुबे ने बताया कि फरार प्रबंधक, उसकी पत्नी समेत अन्य आरोपितों की तलाश में दबिश दी जा रही है।
प्रबंधक की पत्नी के नाम से फर्जी समिति ईओडब्ल्यू
एसपी के अनुसार, तत्कालीन प्रभारी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी की मिलीभगत से प्रबंधक धर्मवीर सिंह की पत्नी बृजेश कुमारी की अध्यक्षता में शांति देवी राजपाल जन कल्याण समिति बनाई गई। इसके नाम से फर्जी कागजात तैयार किए गए। जांच के दौरान समिति का भौतिक अस्तित्व ही नहीं मिला। छात्रों का पैसा इसी समिति के खाते में आया, जहां से आरोपितों ने निकाल लिया।
पूर्व अफसर ने इकट्ठा की करोड़ों की संपत्ति
ईओडब्ल्यू अफसरों के अनुसार, वीरेंद्र पाल सिंह सहारनपुर का रहने वाला है। उसके देहरादून समेत कई शहरों में घर और काफी संपत्ति है। एसपी बाबूराम ने बताया कि आरोपित की तैनाती के दौरान कई फर्जीवाड़े किए गए। इसमें करोड़ों की संपत्ति अर्जित की। जांच में भी उसने सहयोग नहीं किया। गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट स्टे भी ले आया था।
अन्य 66 मदरसों और स्कूलों की भी जांच
एसपी ने बताया कि हाथरस छात्रवृत्ति घोटाले में शासन के आदेश पर दो अन्य जांच इंस्पेक्टर शिव प्रसाद दुबे और लालता साहू कर रहे हैं। एक घोटाले में 25 फर्जी स्कूल व मदरसे तैयार करके करीब तीन करोड़ रुपए की छात्रवृत्ति डकारी गई, जबकि इनका अस्तित्व ही नहीं है। दूसरे मामले में 41 फर्जी स्कूल व मदरसे बनाकर 24 करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा किया गया है।