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नई दिल्ली: बसपा प्रमुख मायावती की कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी से मुलाकात की चर्चा के बीच बसपा ने कहा है कि उनकी कोई बैठक नहीं है। पहले बताया जा रहा था कि मायावती सोमवार को राहुल और सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगी। लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कांग्रेस पर मायावती के तीखे हमलों के बाद इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा था। लेकिन मायावती की पार्टी बसपा के नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा, 'मायावती जी का आज दिल्ली में कोई प्रोग्राम या बैठक नहीं है। वह लखनऊ में रहेंगीं।'

बता दें, मायावती ने प्रचार के दौरान भाजपा और कांग्रेस दोनों पर लगातार हमला करती रही हैं। मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ा है। हालांकि, यूपी के गठबंधन में कांग्रेस को बाहर रखने के बाद भी मायावती ने अपने समर्थकों से अपील की थी कि राहुल गांधी की संसदीय सीट अमेठी और सोनिया गांधी की सीट रायबरेली में कांग्रेस को वोट दें। सपा-बसपा ने इन दोनों सीटों से अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे। वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने सभी विपक्षी पार्टियों से एकजुट रहने की अपील की है।

एग्जिट पोल के नतीजे आने के बाद ममता बनर्जी ने ट्वीट किया था, 'मैं एक्जिट पोल के कयासों पर भरोसा नहीं करती। यह रणनीति अटकलबाजी के जरिए हजारों ईवीएम को बदलने या उनमें हेरफेर करने के लिए प्रयुक्त होती है। मैं सभी विपक्षी पार्टियों से एकजुट, मजबूत और साहसी रहने की अपील करती हूं।'

बंगाल भाजपा ने बनर्जी के बयान पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए उनसे सपनों की दुनिया से बाहर निकलने को कहा। पार्टी ने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सरकार के दिन गिनती के रह गए हैं। विपक्षी पार्टियों एकजुट होने की कोशिश कर रही हैं।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। रविवार को चंद्रबाबू नायडू ने माकपा महासचिव सीताराम येचुरी से मुलाकात की है। शनिवार को उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, एनसीपी नेता शरद पवार और शरद यादव से मुलाकात की थी। इसके बाद उन्होंने लखनऊ में मायावती और अखिलेश यादव से भी मुलाकात की है। माना जा रहा है कि कांग्रेस अब तीसरे मोर्चे की समर्थन से सरकार बनाने की कोशिश में जुट गई है।

बता दें, 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा 435 सीटों पर लड़ी है और बाकी सीटें उसने सहयोगियों के साथ बांटी हैं। जबकि कांग्रेस कुल 420 सीटों पर चुनाव लड़ी है। भाजपा की अगुवाई में एनडीए में इस बार 21 पार्टियां शामिल हैं। बिहार में उसको नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के आने से मजबूती मिली है और वोट प्रतिशत के हिसाब से उसका पलड़ा भारी है। वहीं यूपीए में इस बार कांग्रेस की अगुवाई में 25 पार्टियां शामिल हैं।

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