लखनऊ: बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने रविवार को कहा कि रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को आपसी बातचीत के जरिये हल नहीं किया जा सकता और इसका समाधान सिर्फ सुप्रीम कोर्ट से ही हो सकता है। कमेटी के संयोजक जफरयाब जीलानी ने आज यहां एक बयान में बताया कि कमेटी की यहां हुई एक बैठक में उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीष द्वारा अयोध्या विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने और जरूरत पड़ने पर उसमें मध्यस्थता करने की पेशकश को लेकर यह फैसला किया गया है कि बाबरी मस्जिद का मुद्दा सिर्फ अदालत से ही हल हो सकता है। बैठक में कहा गया कि अदालत के बाहर कई बार बातचीत नाकाम रही है और इस समय भी बातचीत से इस मुद्दे का कोई हल मुमकिन नहीं है। जीलानी ने बताया कि सभा में यह भी महसूस किया गया कि पहले प्रधानमंत्री निष्पक्ष हुआ करते थे किन्तु इस समय तो प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री स्वयं एक पक्षकार हैं जो भाजपा के राम मंदिर आन्दोलन के हिमायती तथा कार्यकर्ता हैं। इनसे क़तई यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह मुसलमानों के साथ मस्जिद के मसले पर न्याय करेंगे। सभा में यह भी महसूस किया गया कि अगर उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या अन्य न्यायाधीश दीवानी की धारा 89 के अर्न्तगत मुद्दे के हल के लिये प्रयास करें तो इस प्रयास में मुस्लिम पक्ष अवश्य सहयोग करेगा।
मालूम हो कि उच्चतम न्यायालय ने पिछले दिनों कहा था कि अयोध्या का विवाद बेहद संवेदनशील है और इसे विभिन्न पक्षों को आपसी बातचीत से सुलझाना चाहिये। अदालत ने यह भी कहा था कि वह इस मामले में मध्यस्थता करने को भी तैयार है।