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नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 9 बागी विधायकों की याचिका खारिज कर दी है। हाई कोर्ट ने सभी बागी विधायकों को अयोग्य करार दिया है। अब ये विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं, जहां मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले को दीपक मिश्रा की बेंच को भेज दिया है। फ्लोर टेस्ट से एक दिन पहले उत्तराखंड हाईकोर्ट का यह फैसला काफी महत्वपूर्ण है। शनिवार को हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में 10 मई यानी मंगलवार को होने वाले फ़्लोर टेस्ट में बाग़ी विधायकों को वोटिंग से दूर रहने का आदेश दिया है। शनिवार को बाग़ी विधायकों की ओर से वरिष्ठ वकील सी.ए. सुंदरम और दिनेश द्विवेदी ने पैरवी की जबकि स्पीकर और शिकायतकर्ता की ओर से कपिल सिब्बल, उनके बेटे अमित सिब्बल जैसे वकील दलील देने में जुटे थे। न्यायमूर्ति यू.सी. ध्यानी ने दोनों पक्षों के बीच करीब तीन घंटे की दलीलों के खत्म होने के बाद कहा, 'सुनवाई सम्पन्न हो गई है। मैं नौ मई को सुबह सवा दस बजे निर्णय सुनाऊंगा।' कांग्रेस के 9 बाग़ी विधायक अमृता रावत, हरक सिंह रावत, प्रदीप बतरा, प्रणव सिंह, शैला रानी रावत, शैलेंद्र मोहन सिंघल, सुबोध उनियाल, उमेश शर्मा, विजय बहुगुणा, हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब मतदान में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। 18 मार्च को विधानसभा में विनियोग विधेयक पर मत विभाजन की भाजपा की मांग का कांग्रेस के नौ विधायकों ने समर्थन किया था, जिसके बाद राज्य में सियासी तूफान पैदा हो गया और उसकी परिणिति 27 मार्च को राष्ट्रपति शासन के रूप में हुई थी।

गौरतलब है कि उत्तराखंड के चल रहे सियासी संकट के बीच राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को सीबीआई ने स्टिंग मामले की जांच के सिलसिले में पेश होने का समन भी जारी किया। इस स्टिंग के कथित तौर पर उन्हें एक पत्रकार से बागी विधायकों का फिर से समर्थन हासिल करने के लिए डील करते हुए दिखाया गया था।

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