ताज़ा खबरें
दीपावाली की सुबह 'गैस चेंबर' बनी दिल्ली, एक्यूआई खतरनाक स्तर पर
दिवाली पर जहरीली हुई दिल्ली, एयर क्वलिटी 'बहुत खराब' श्रेणी में दर्ज
महाराष्ट्र में बीजेपी के प्रचार के लिए मोदी-शाह-योगी की होंगी 43 रैलियां

रामगढ़/गिरिडीह: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बुधवार को दावा किया कि मौजूदा लोकसभा चुनाव में यदि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 400 से ज्यादा सीटें मिलती हैं, तो पाक के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को भारत में मिला लिया जाएगा। झारखंड के रामगढ़ जिले में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देशभर में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करने के लिए भाजपा को 400 से ज्यादा सीटें हासिल करने की जरूरत है।

हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि यदि बीजेपी को 400 से ज्यादा सीटें मिलीं तो पीओके को भारत में मिला लिया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा को ‘श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर' और ‘ज्ञानवापी मंदिर' बनाने और देशभर में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करने के लिए 400 से अधिक सीटों की आवश्यकता है। ठीक उसी तरह जैसे उसने 2019 में 300 से अधिक सीटें जीतने पर अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करवाया था। साथ ही जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किया और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लागू किया।''

हिमंत बिस्वा सरमा ने आरोप लगाया, ‘‘असम की तरह बांग्लादेश से आये घुसपैठिए झारखंड की जनसांख्यिकी बदल रहे हैं, लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस उनके तुष्टीकरण में लगे हैं। उन्होंने दावा किया कि घुसपैठियों ने असम के 12 जिलों में जमीन पर कब्जा कर लिया है और झारखंड में उन्होंने स्थानीय आदिवासी महिलाओं से शादी करके इसकी शुरुआत कर दी है।

उन्होंने दावा किया, ‘‘अगर ऐसा ही होता रहा तो वे झारखंड की जनसांख्यिकी भी बदल देंगे।'' बीजेपी नेता ने कहा कि स्थिति ऐसी हो गई है कि ‘घुसपैठिए' मूल निवासी बनने की कोशिश कर रहे हैं।

राज्य में झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि इसके शासन के दौरान भ्रष्टाचार चरम पर है। बाद में झारखंड के गिरिडीह में कोडरमा से भाजपा की उम्मीदवार अन्नपूर्णा देवी के पक्ष में आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपने देश के गौरव को बहाल करना है और इसे विश्व गुरु बनाना है।''

हिमंत बिस्वा सरमा ने यह दावा भी किया कि मुस्लिम महिलाएं भाजपा का समर्थन कर रही हैं क्योंकि वे नहीं चाहतीं कि उनके पति कई शादियां करें। उन्होंने कहा, ‘‘मुस्लिम महिलाओं को बचाना अत्याचार नहीं बल्कि सामाजिक न्याय है। मदरसों की जरूरत नहीं है, बल्कि ऐसे संस्थानों की जरूरत है जो इंजीनियर और डॉक्टर बनाएं।"

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख