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नई दिल्ली: झारखंड के सिमडेगा में भूख से मौत की ख़बर के मामले में भारत सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है। खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा है कि अधिकारियों की टीम तथ्यों की जांच के लिए सिमडेगा ज़िले में भेजी जा रही है।

उन्होंने कहा कि ये मामला बेहद गंभीर है और इस मौत के लिए ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ राज्य सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। रामविलास पासवान ने कहा कि देश में कहीं भी खाद्य सुरक्षा कानून के तहत राशन कार्ड को 'आधार' से जोड़ना अनिवार्य नहीं किया गया है।

उन्होंने बताया कि खाद्य सचिव से कहा गया है कि वे जल्दी अधिकारियों की एक टीम झारखंड भेजें और इस मामले के तथ्यों की तहकीकात करें। खाद्य मंत्री ने बताया कि हर साल केन्द्र सरकार राज्यों को खाद्य सुरक्षा कानून के तहत 81 करोड़ गरीब ज़रूरतमंदों को अनाज की सप्लाई के लिए पूरा बजट मुहैया कराती है। लेकिन इसके बावजूद अगर अनाज उन तक नहीं पहुंच पा रहा है तो ये चिंता का विषय है।

 

बता दें कि सिमडेगा की 11 साल की बच्ची संतोषी की मां कोयली देवी के मुताबिक, उनकी बेटी ने भात मांगते-मांगते दम तोड़ दिया। कोयली ने बताया कि चार दिन से परिवार ने कुछ खाया नहीं था जिसे संतोषी झेल नहीं पाई। स्थानीय राशन दुकान वाला राशन नहीं दे रहा था। फिलहाल झारखंड सरकार में भी इस मौत को लेकर अफ़रातफ़री है।

मामला गंभीर होता जा रहा है और राज्य प्रशासन में इसकी जवाबदेही लेने को कोई तैयार नहीं है। राज्य के खाद्य मंत्री सरयू राय ने तो अपनी ही सरकार पर सवाल खड़ा कर दिया है।

सरयू राय कहते हैं कि मुख्य सचिव ने मार्च, 2017 में ही निर्देश जारी कर दिया था कि राशन कार्ड का इस्तेमाल करने के लिए आधार ज़रूरी होगा। उधर, राज्य का विपक्ष पूरी मशीनरी पर सवाल खड़े कर रहा है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा का कहना है कि पूरे देश में झारखंड को लेकर गलत संदेश गया है। पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि इस घटना ने राज्य प्रशासन की पोल खोल दी है।

जिस परिस्थिति में झारखंड के एक पिछड़े ज़िले में 11 साल की एक बच्ची की मौत हुई है उसको लेकर कई बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल प्रशासनिक खामियों से लेकर व्यवस्ता में जवाबदेही पर भी उठ रहे हैं।

अब देखना महत्वपूर्ण होगा कि राज्य के मुख्यमंत्री कितनी जल्दी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं।

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