रांची: राजद सुप्रीमो और चारा घोटाले के अभियुक्त लालू प्रसाद के सीबीआई के जज शिवपाल सिंह की अदालत से मामला स्थानांतरित करने की याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। शुक्रवार को जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत में करीब डेढ़ घंटे तक सुनवाई हुई और इसमें लालू और सीबीआई की ओर से पक्ष रखे गए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया। लालू प्रसाद की ओर से बहस करते हुए अधिवक्ता प्रभात कुमार ने अदालत ने को बताया कि विशेष जज शिवपाल सिंह लालू प्रसाद और उनके गवाहों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे हैं। एक गवाह ने समय से पहले गवाही देनी चाही, तो उसका बयान दर्ज नहीं किया गया। नाम, पता पूछने के बाद गवाह की जाति भी पूछी गयी। गवाह ने जब कहा कि वह अनुसूचित जाति से है, तो कोर्ट ने उस दस्तावेज को फाड़ दिया, जिसमें गवाह के बारे में नोट किया गया था। इसके बाद गवाह को चले जाने का आदेश जज ने दिया। अदालत को बताया गया कि लालू की ओपन हार्ट सर्जरी हुई है।
उन्हें समय पर दवा और पानी की जरूरत पड़ती है। इस कारण उनके साथ हमेशा एक अटेंडेंट रहता है। लेकिन जज शिवपाल सिंह अटेंडेंट को भी बाहर कर देते हैं। इससे साफ जाहिर है कि अदालत पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं। इस कोर्ट पर लालू को भरोसा नहीं है। इस कारण मामले को दूसरी अदालत में स्थानांतरित कर दिया जाए। इस कोर्ट में चारा घोटाले को दो मामले आरसी 64 ए और और आरसी 38 ए /96 चल रहे हैं। आरोप में दम नहीं, मामले को लटकाने का प्रयासलालू के आवेदन का सीबीआई की ओर से विरोध किया गया। सीबीआई की ओर से कहा गया कि यह मामले को लंबा खींचने का प्रयास है। लालू प्रसाद की आदत है कि जब मामला अंतिम चरण में पहुंचता है तो उसे खींचने के लिए इस तरह का आरोप लगाते हैं। इससे पूर्व के मामले (आरसी 20 ए/ 96) जिसमें उन्हें सजा हुई है, उसमें भी लालू ने इस तरह का आरोप लगाया था। उस समय भी उन्होंने कोर्ट पर अविश्वास करते हुए मामले को स्थानांतरित करने का आग्रह किया था। लेकिन हाईकोर्ट ने लालू के आवेदन को खारिज कर दिया था। इस बार भी लालू की ओर से यही हथकंडा अपनाया गया है। अदालत को बताया गया कि लालू के गवाह सुनील कुमार एससी हैं यह बात खुद लालू के वकीलों ने कोर्ट को बतायी थी, न कि कोर्ट ने। लालू की ओर से कहा गया कि सुनील कुमार उनके वकील थे, लेकिन उन्हें कोर्ट ने गवाह बनाकर गवाही ली। इस पर अदालत को बताया गया कि सुनील कुमार ने खुद उसी दिन अपनी गवाही दर्ज कराने का आवेदन दिया था। इस कारण कोर्ट विटनेस बना कर गवाही ली गई।