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हैदराबाद: मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमूला को सस्पेंड किए जाने वाले जांच कमेटी के बारे में दिए बयान पर विवाद हो गया है। स्मृति ने कहा था कि सस्पेंड करने के लिए जिस जांच कमेटी ने सिफारिश की थी, उसके प्रमुख दलित शिक्षक थे, जबकि शिक्षक और अधिकारियों की प्रेस रिलीज़ में कहा गया है कि ये तथ्य सही नहीं हैं। इन लोगों ने यह भी कहा कि जो जांच कर रहे थे वह एक उच्च जाति के सदस्य थे और एक्जिक्यूटिव काउंसिल की सब कमेटी में भी कोई दलित नहीं है। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के बयान के विरोध में यूनिवर्सिटी में शोध छात्र रोहित वेमुला की खुदकुशी मामले में 10 प्राफेसर्स ने प्रशासनिक पदों से इस्तीफा दे दिया है। उनका कहना है कि मानव संसाधन मंत्रालय इस मामले में तथ्यों को तोड़मरोड़ कर पेश कर रहा है। बयान में कहा गया है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्रीय मंत्री ने घटना पर गलत तथ्य पेश किए हैं और कहा कि असलीयत में सबसे वरिष्ठ दलित प्रोफेसर के नेतृत्व वाली कार्यकारी परिषद की सब कमेटी ने छात्रों को सस्पेंड करने की सिफारिश की थी।

उच्च जाति के एक प्रोफेसर इस कमेटी के प्रमुख थे और इस कमेटी में कोई दलित नहीं था। मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने दलित छात्रों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन पर दबाव डालने के आरोपों को खारिज किया था। उन्होंने बुधवार को कहा कि यह कोई दलित बनाम गैर दलित मुद्दा नहीं है, जैसा कि कुछ लोग पेश कर रहे हैं। इस विषय को जाति संघर्ष बनाकर पेश करने का दुर्भावनापूर्ण प्रयास किया जा रहा है, जो है ही नहीं। ईरानी अपने दो कैबिनेट सहयोगियों थावर चंद गहलोत और निर्मला सीतारमण के साथ प्रेस कांफ्रेंस में बोल रही थीं। उन्होंने कांग्रेस सांसद हनुमंत राव द्वारा सितंबर 2014 में लिखे पत्र का हवाला दिया, जिसमें विश्वविद्यालय में वंचित वर्ग के छात्रों की आत्महत्याओं का जिक्र था। ईरानी ने कहा कि कांग्रेस सांसद राव ने हैदराबाद विश्वविद्यालय में खराब कानून व्यवस्था पर ध्यान आकृष्ट किया था। उन्होंने कहा था कि चार साल पहले से यह समस्या चल रही है। अगर तत्कालीन कांग्रेस सरकार ध्यान देती तो शायद रोहित आज जिंदा होता। मंत्री ने कहा कि लेकिन राजनीतिक फायदे के लिए इस विषय को दलित बनाम गैर दलित मुद्दा बनाकर पेश करने का दुर्भावनापूर्ण प्रयास किया जा रहा है। ईरानी ने कहा कि रोहित के सुसाइड नोट में भी न तो किसी सांसद और न ही किसी राजनीतिक दल को जिम्मेदार ठहराया गया है। ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठाने के लिए उसने न तो विश्वविद्यालय और न ही किसी अधिकारी पर आरोप लगाए हैं। अंबेडकर छात्र संघ का जिक्र करते हुए रोहित ने अपने नोट में कहा है कि वह उन सब को निराश करने को लेकर दुखी हैं लेकिन साथ ही कहा कि हमारे बीच कुछ गलत तत्व हैं।

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