चंडीगढ़: पंजाब में मंत्रियों के शपथ लेने के बाद शनिवार को भगवंत मान कैबिनेट की पहली बैठक हुई। इस बैठक में 25 हजार सरकारी नौकरी निकालने का फैसला लिया गया है। इनमें से 10 हजारी नौकरियां पुलिस विभाग में होंगी, बाकि 15 हजार नौकरियां दूसरे विभागों में होंगी। ये नौकरियां एक महीने के भीतर निकाली जाएंगी। बता दें, भगवंत मान ने चुनाव प्रचार के दौरान पंजाब के युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था।
आज ही मान मंत्रिमंडल में दस नए चेहरों को बतौर कैबिनेट मंत्री शामिल कराया गया है। इससे तीन दिन पहले भगवंत मान ने शहीद भगत सिंह के गांव में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। गवर्नर बनवारीलाल पुरोहित ने चंडीगढ़ के पंजाब भवन में मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इन 10 मंत्रियों में से आठ पहली बार विधायक बने हैं। इन सभी ने पंजाबी भाषा में शपथ ली। हरपाल सिंह चीमा और गुरमीत सिंह मीत हेयर को छोड़कर आठ अन्य पहली बार विधायक बने हैं। दीर्बा से विधायक चीमा ने सबसे पहले शपथ ली, उनके बाद कैबिनेट में एकमात्र महिला और मलोट से विधायक डॉ बलजीत कौर ने शपथ ली।
इसके बाद जंडियाला से हरभजन सिंह, मानसा से डॉ विजय सिंगला, भोआ से लाल चंद, बरनाला से गुरमीत सिंह मीत हेयर, अजनाला से कुलदीप सिंह धालीवाल, पट्टी से लालजीत सिंह भुल्लर, होशियारपुर से ब्रह्म शंकर जिंपा और आनंदपुर साहिब से हरजोत सिंह बैंस ने शपथ ली।
कैबिनेट में मुख्यमंत्री सहित 18 पद हैं। हरियाणा के राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान इस अवसर पर कार्यक्रम में मौजूद थे। पंजाब के राज्यपाल पुरोहित ने बुधवार को स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के पैतृक गांव खटकड़ कलां में भगवंत मान को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई थी।
आम आदमी पार्टी (आप) ने 117 सदस्यीय पंजाब विधानसभा में कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल (शिअद)-बहुजन समाज पार्टी (बसपा) गठबंधन और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-पंजाब लोक कांग्रेस-शिअद (संयुक्त) गठबंधन को पछाड़ते हुए 92 सीटें हासिल की हैं।
कैबिनेट में पार्टी ने मालवा से पांच, माझा से चार और दोआबा क्षेत्र से एक विधायक को प्रतिनिधित्व दिया। कैबिनेट में चार उन विधायकों को जगह दी गई है जो सुरक्षित सीटों दीर्बा, जंडियाला, मलोट और भोआ का प्रतिनिधित्व करते हैं। हालांकि, कांग्रेस के चरणजीत सिंह चन्नी, नवजोत सिंह सिद्धू, शिअद के प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल तथा पंजाब लोक कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह आदि दिग्गजों को हराने वाले आप विधायकों को कैबिनेट में जगह नहीं मिली।