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नई दिल्ली/कोलकाता: बंगाल में सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने त्रिपुरा में पार्टी की युवा इकाई की अध्यक्ष पर पुलिस की कथित बर्बरता और गिरफ्तारी को लेकर सोमवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्रालय के बाहर धरना दिया। तृणमूल सांसदों ने इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की। तृणमूल सांसदों का आरोप है कि त्रिपुरा की घटना को लेकर उन्होंने गृह मंत्री से मिलने का समय मांग था लेकिन उन्हें समय नहीं दिया गया।

इसके बाद तृणमूल के सांसद नार्थ ब्लाक में गृह मंत्रालय के बाहर धरने पर बैठ गए और विरोध जताया। इस धरने में तृणमूल के 15 से ज्यादा लोकसभा व राज्यसभा के सांसदों ने हिस्सा लिया। हालांकि बाद में गृह मंत्री ने मिलने का समय दे दिया। इसके बाद तृणमूल सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने गृह मंत्री के आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की। मुलाकात के बाद तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि हमने (पार्टी सांसदों) ने त्रिपुरा की घटना से गृह मंत्री को अवगत कराया और राजनीति से उपर उठकर उनसे उचित कार्रवाई की मांग की है।

इससे पहले तृणमूल के वरिष्ठ सांसद सौगत राय ने कहा कि त्रिपुरा में हो रही हिंसा के लिए शाह और मोदी दोनों को जवाब देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में पार्टी की युवा नेता सायनी घोष की गिरफ्तारी के खिलाफ यह विरोध प्रदर्शन था।

त्रिपुरा में अव्यवस्था की स्थिति होने का लगाया आरोप

तृणमूल ने भाजपा शासित त्रिपुरा में अव्यवस्था की स्थिति होने का आरोप लगाया और कहा कि उनकी नेता सायनी घोष को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और उन पर हत्या के प्रयास का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज किया है। बताते चलें कि त्रिपुरा पुलिस ने रविवार को सायनी घोष को हत्या के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार किया था, जब उन्होंने शनिवार रात खेला होबे के नारे लगा कर राज्य के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब की एक बैठक को कथित रूप से बाधित कर दिया था।

पुलिस के एक अधिकारी ने कहा था कि तृणमूल कांग्रेस की बंगाल युवा इकाई की अध्यक्ष घोष को अगरतला के एक पुलिस थाने में पूछताछ के लिए बुलाए जाने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने हाल में त्रिपुरा पुलिस को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि किसी भी राजनीतिक दल को शांतिपूर्ण तरीके से प्रचार करने के लिए कानून के अनुसार अपने अधिकारों का उपयोग करने से रोका नहीं जाए।

 

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