कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाथरस मामले और कृषि कानूनों को लेकर भाजपा के खिलाफ आक्रामक तेवर अपना लिए हैं। ममता ने कोलकाता में बिड़ला प्लैनेटोरियम से गांधी प्रतिमा तक एक रैली की अगुवाई की। रैली के बाद अपने संबोधन में उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार में दलित-अल्पसंख्यक और किसानों पर अत्याचार हो रहे हैं। ममता ने एलान किया कि भाजपा की तानाशाही नीतियों के खिलाफ राज्य में जिले और ब्लॉक स्तर पर रैलियां आयोजित की जाएंगी।
ममता ने कहा, कोविड महामारी है, लेकिन भाजपा उससे बड़ा खतरा है। यह जुल्मोसितम ढाने वाली महामारी है। उसे रोकने के लिए हर प्रयास को तृणमूल मदद देगी। तेजतर्रार ममता ने हाथरस में पीड़िता के परिजनों से मिलने का संकेत भी दिया। उन्होंने कहा, "कल मैं हाथरस में पीड़ित परिवार से मिल भी सकती हूं और उन्हें पता भी नहीं चलेगा। हाथरस की बेटी हमारी बेटी है। अगर हमें देश के भविष्य को सुनहरा और बेहतर बनाना है तो हमें दलितों और अल्पसंख्यक समुदाय के साथ खड़ा होना होगा। आज मैं हिन्दू नहीं हूं, मैं दलित हूं।"
गौरतलब है कि दो दिन पहले तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने हाथरस जाने की कोशिश की थी, लेकिन यूपी पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक दिया था।
ममता ने आरोप लगाया कि चुनाव के पहले भाजपा बड़ी-बड़ी बातें करती है, लेकिन अपने असली इरादों को छिपाकर रखती है। चुनाव के पहले भाजपा नेताओं ने दलितों के घर खाना खाया। उनके घर पर रुके और वाहवाही बटोरने का प्रयास किया। चुनाव बाद वे दलितों पर अत्याचार करेंगे, उन्हें मारेंगे-पीटेंगे। हाथरस की बेटी के साथ जो हुआ है, वह शर्मनाक है।
मार्च में कोरोना वायरस की महामारी फैलने के बाद ममता की यह पहली राजनीतिक रैली थी। पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव को देखते हुए ममता का यह रुख बेहद अहम माना जा रहा है। बंगाल में पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सबको चौंकाते हुए 18 सीटें जीत ली थीं। तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने इसके बाद राजनीतिक सक्रियता बढ़ा दी है।