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कोलकाता: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने एक बार फिर ममता बनर्जी के शासन पर प्रहार करते हुए कहा है कि उन्हें राज्य की शक्तियां अपने हाथ में लेने पर विचार करना होगा। पश्चिम बंगाल में पुलिसिया शासन का आरोप लगाते हुए राज्यपाल ने कहा कि  पुलिस शासन और लोकतंत्र साथ-साथ नहीं चल सकते। राज्यपाल धनखड़ ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बंगाल में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। माओवादी उग्रवाद अपना सिर उठा रहा है। लंबे समय से अनदेखी हो रही है, लेकिन संविधान के अनुच्छेद 154 (जो राज्य के अधिकार राज्यपाल में निहित होने की बात करता है) पर विचार करना पड़ेगा।

गौरतलब है कि राज्य की कार्यपालिका शक्ति को बताने वाले संविधान के अनुच्छेद 154 में कहा गया है कि राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी और वह इसका प्रयोग इस संविधान के अनुसार स्वंय या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ लगातार हमलावर रहे हैं।

उन्होंने कई बार राज्य में पुलिस के रानजीतिकरण और लोकतांत्रिक मूल्यों की धज्जियां उड़ाए जाने का आरोप लगाया है। पिछले महीने भी धनखड़ ने कहा था कि राज्य में पुलिस और प्रशासन राजनीतिक रूप से प्रतिबद्ध है, जो लोकतंत्र की मौत की दस्तक है। तृणमूल कांग्रेस भी राज्यपाल के खिलाफ जमकर बयानबाजी करती रही है।

ममता सरकार ने राजभवन के लिए बजट बढ़ाने से किया इंकार

इस बीच पश्चिम बंगाल सरकार ने बजटीय आवंटन बढ़ाने के संबंध में राजभवन द्वारा किए गए अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है। सोमवार को एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि राज्यपाल के कार्यालय ने हाल के दिनों में राज्य सचिवालय को कई बार पत्र लिखकर रोजमर्रा के खर्च के लिए 53.5 लाख रुपए की अतिरिक्त राशि मांगी थी। लेकिन, राज्य सरकार ने अतिरिक्त राशि देने में असमर्थता जताते हुए दावा किया है कि कोविड-19 महामारी के दौर में उसने मितव्ययिता और आत्मसंयम का रास्ता अपनाया है।

राज्य सचिवालय के अधिकारी ने बताया, ''राज्यपाल कार्यालय ने 53.5 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि मांगी है। चूंकि हमारे राज्य ने महामारी के दौरान खर्च से निपटने के लिए मितव्ययिता के उपाय अपनाए हैं, इसलिए उनका अनुरोध टाल दिया गया है।'' गौरतलब है कि राज्य के वित्त विभाग ने राजभवन के बजट में 50 प्रतिशत की कटौती करते हुए वित्त वर्ष 2020-21 के लिए उसे 16 करोड़ रुपये तय किया है।

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