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कोलकाता: पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में सोमवार को विश्व भारती विश्वविद्यालय द्वारा पौष मेला ग्राउंड के पास कराए जा रहे दीवार निर्माण को लेकर हंगामा हुआ। बड़ी संख्या में यहां जुटे लोगों ने पौष मेला मैदान में चारदीवारी के निर्माण का विरोध करते हुए विश्वविद्यालय की संपत्तियों की नुकसान पहुंचाया। दीवार निर्माण का विरोध कर रहे लोगों ने निर्माणाधीन दीवार को तोड़ दिया और निर्माण स्थल पर रखे ईंट और सीमेंट को भी उठाकर फेंक दिया। वहां खड़ी जेसीबी मशीनों में तोड़ फोड़ की गई।  इतना ही नहीं गुस्साई भीड़ ने वहां कई ऐतिहासिक ढांचों को भी नुकसान पहुंचाया है। 

विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि विश्व भारती विश्वविद्यालय ने मेला मैदान चारदीवारी के निर्माण को लेकर हुई हिंसा के बाद परिसर को बंद कर दिया गया है। सूत्रों ने बताया कि शरद ऋतु में सालाना इस मैदान मे ‘पौष मेला’ आयोजित होता है और विश्वविद्यालय प्रशासन ने यहां चारदीवारी निर्माण का निर्णय लिया था जो आज सुबह शुरू हुआ। सूत्रों ने बताया कि करीब 4,000 लोग शांति निकेतन परिसर में पहुंचे और संपत्ति को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया और जेसीबी की मदद से विश्वविद्यालय की एक दीवार को गिराना शुरू कर दिया।

 

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि तोड़ फोड़ के दौरान वहां दुबराजपुर से तृणमूल कांग्रेस विधायक नरेश बौरी मौजूद थे। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस घटना पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

विश्व भारती के एसएफआई नेता सोमनाथ साउ ने कहा कि विद्यार्थी, आश्रम के निवासियों और अन्य पुराने विद्यार्थियों ने केंद्रीय विश्वविद्यालय के ‘उपासना गृह’ के सामने विश्वविद्यालय के पौष मेला मैदान में चारदीवारी बनाकर लोगों को पहुंचने से रोकने के प्रयास के खिलाफ प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि आगे के कदम पर फैसला लेने के लिए वे बैठक करेंगे।

विश्वविद्यालय के पौष मेला मैदान में किसी भी तरह का निर्माण नहीं चाहती: ममता

हंगामे के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह वहां किसी भी तरह का निर्माण नहीं चाहती हैं। साथ ही पुलिस को इस संबंध में सभी पक्षकारों की बैठक बुलाने का निर्देश दिया। विश्व भारती को केंद्रीय विश्वविद्यालय बताते हुए बनर्जी ने कहा कि पौष मेला मैदान पर हिंसा को लेकर सोमवार को उनकी राज्यपाल से बात हुई और उन्होंने राज्यपाल को बताया कि इस मामले में राज्य सरकार की 'सीमित' भूमिका थी।

सीएम बनर्जी ने कहा, 'राज्यपाल ने मुझे फोन किया था। मैदान पर हुई हिंसा को लेकर हमारी चर्चा हुई थी। मैंने उन्हें कहा कि नोबेल पुरस्कार विजेता रबींद्रनाथ टैगोर ने विभिन्न त्योहार मनाने के लिए इसकी स्थापना की थी। मैंने उन्हें यह भी बताया कि मैं उस मैदान पर किसी भी तरह का निर्माण नहीं चाहती हूं।'

 

 

 

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