कोलकाता: पंचायत चुनाव पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए तृणमूल कांग्रेस ने इसे ‘लोकतंत्र की जीत’ बताया और विपक्षी दलों को प्रदेश की जनता से माफी मांगने को कहा, क्योंकि उनकी वजह से प्रदेश के गांवों का विकास प्रभावित हुआ है। न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में 20,000 से भी ज्यादा सीटों पर निर्विरोध जीत के आधार पर चुनाव रद्द करने का अनुरोध करने वाली माकपा और भाजपा की याचिकाओं को शुक्रवार को सुनवाई के बाद स्वीकार करने से इंकार कर दिया। इन सभी सीटों पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार निर्विरोध जीते हैं।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद व अधिवक्ता कल्याण बनर्जी जो खुद इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार का पक्ष रख रहे थे, उन्होंने कहा, ‘हम बहुत खुश हैं। हम अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं। हम यह बात लंबे समय से कह रहे हैं।’ वहीं राज्य भाजपा का कहना है कि वह फैसले को स्वीकार करती है और अब तृणमूल के साथ लोकतांत्रिक तरीके से लड़ेगी।
शीर्ष अदालत के फैसले से तृणमूल कांग्रेस में खुशी की लहर
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से तृणमूल कांग्रेस में खुशी की लहर फैल गयी। तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने बताया कि 20159 सीटों पर तृणमूल कांग्रेस निर्विरोध जीती। इस बात को विरोधी दल पचा नहीं पाये और राज्य सरकार व राज्य चुनाव आयोग के खिलाफ अदालत की शरण में चले गये। हाईकोर्ट ने उनकी बात को सुनते हुए ईमेल और ऑनलाइन नामांकन दर्ज करने का फैसला सुनाया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि इस तरह का कोई कानून या नियम चुनावी संविधान में नहीं है। नतीजतन ईमेल और ऑनलाइन नामांकन को रद्द किया जाता है।
तृणमूल कांग्रेस के महासचिव ने कहा कि अदालत का सहारा लेते हुए विरोधियों ने प्रदेश के विकास को प्रभावित करने की साजिश रची थी। इसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। इससे साबित होता है कि तृणमूल कांग्रेस जो दावा कर रही थी वह सच है। अब बंगाल का विकास कोई नहीं रोक सकता, क्योंकि इतने दिनों तक फैसले का इंतजार करने के कारण बोर्ड का गठन नहीं हो पा रहा था, जिससे योजनाओं का क्रियांवयन नहीं हो पा रहा था. अब वह बाधा दूर हुई है। लिहाजा सरकार का अब पूरा ध्यान गांवों के विकास पर होगा।