कोलकाता: लोकसभा के पूर्व स्पीकर सोमनाथ चटर्जी का कोलकाता के अस्पताल में निधन हो गया। वे 89 वर्ष के थे। इससे पहले, लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी को दिल का दौरा पड़ने की वजह से हालत बिगड़ने के बाद उन्हें रविवार को वेंटिलेटर पर रखा गया था। एक प्राइवेट अस्पताल के चिकित्सक ने बताया कि गुर्दे संबंधी समस्या से जूझ रहे चटर्जी को मंगलवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'उनकी डायलिसिस की जा रही थी। ऐसे मामलों में कई बार हृदय काम करना बंद कर देता है।
रविवार को पड़ा था दिल का दौरा
चटर्जी को रविवार की सुबह दिल का हल्का दौरा पड़ा था लेकिन उसने फिर से काम करना शुरू कर दिया। वह आईसीसीयू में थे। अधिकारी ने कहा, 'पिछले 40 दिनों से चटर्जी का उपचार चल रहा था। स्वास्थ्य में सुधार के संकेत मिलने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली थी लेकिन मंगलवार को हालत बिगड़ने के बाद उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।'
दस बार रहे थे लोकसभा के सदस्य
लोकसभा के दस बार सदस्य रहे चटर्जी माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य रहे। वह 2004 से 2009 के बीच लोकसभा के अध्यक्ष रहे थे। हालांकि उनकी पार्टी के संप्रग-1 सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद लोकसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने से उनके इनकार के बाद 2008 में उन्हें माकपा से निष्कासित कर दिया गया था।
सोमनाथ चटर्जी का जन्म 25 जुलाई 1929 को बंगाली ब्राह्मण निर्मल चंद्र चटर्जी और वीणापाणि देवी के घर में असम के तेजपुर में हुआ था। उनके पिता एक प्रतिष्ठीत वकील, और राष्ट्रवादी हिंदू जागृति के समर्थक थे। उनके पिता अखिल भारतीय हिंदू महासभा के संस्थापकों में से एक थे
ब्रिटेन में पढ़ाई
सोमनाथ चटर्जी की शिक्षा-दीक्षा कलकत्ता और ब्रिटेन में हुई। उन्होंने कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में भी पढ़ाई की थी। उन्होंने ब्रिटेन में मिडिल टैंपल से लॉ की पढ़ाई करने के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की। इसके बाद उन्होंने राजनीति में आने का फैसला किया। सामनाथ चटर्जी एक प्रखर वक्ता के रूप में भी जाने जाते थे। सोमनाथ चटर्जी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख नेताओं में से थे। उन्होंने संसदीय प्रणाली की सर्वोच्च संवैधानिक पदों में से एक लोकसभा अध्यक्ष के पद को सुशोभित किया था।
राजनीतिक सफर
अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत सोमनाथ चटर्जी ने सीपीएम के साथ 1968 में की और वह 2008 तक इस पार्टी से जुड़े रहे। 1971 में वह पहली बार सांसद चुने गए। इसके बाद उन्होंने राजनीति में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह 10 बार लोकसभा सदस्य के रूप में चुने गए थे। सोमनाथ चटर्जी की धर्मपत्नी श्रीमती रेणु चटर्जी थीं जिनसे उन्हें एक पुत्र और दो पुत्रियां हैं। उनकी पत्नी का कुछ दिन पहले ही निधन हो गया था।
1971 में पहली बार बने थे लोकसभा सदस्य
1971 से लेकर उन्होंने सभी लोक सभाओं में एक सदस्य के रूप में निर्वाचित होकर सेवा की। साल 2004 में 14वीं लोक सभा में वे 10वीं बार निर्वाचित हुए। साल 1989 से 2004 तक वे लोक सभा में सीपीआईएम के नेता भी रहे। उन्होंने लगभग 35 सालों तक एक सांसद के रूप में देश की सेवा की। इसके लिए उन्हें साल 1996 में उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार से नवाजा गया।
अच्छे वक्ता थे सोमनाथ चटर्जी
सोमनाथ चटर्जी ने कामगार वर्ग तथा वंचित लोगों के मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाकर उनके हितों के लिए आवाज बुलंद करने का कोई भी अवसर नहीं गंवाया। सोमनाथ चटर्जी का वाद-विवाद कौशल, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दों की स्पष्ट समझ, भाषा के ऊपर पकड़ और जिस नम्रता के साथ वो सदन में अपना दृष्टिकोण रखते थे उसे सुनने के लिए पूरा सदन एकाग्रचित होकर सुनता था।
2004 में बने थे लोकसभा अध्यक्ष
4 जून, 2004 को 14वीं लोक सभा के अध्यक्ष के रूप में सोमनाथ चटजी का सर्वसम्मति से निर्वाचन सदन में एक इतिहास रच गया। लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में सोमनाथ चटर्जी का निर्वाचन प्रस्ताव कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रखा जिसे रक्षा मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अनुमोदित किया। इस लोकसभा के 17 अन्य दलों ने भी सोमनाथ चटर्जी का नाम प्रस्तावित किया जिसका समर्थन अन्य दलों के नेताओं द्वारा किया गया। इसके बाद वह निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
22 जुलाई 2008 को विश्वास मत के दौरान किए गए सभा के संचालन के लिए उनको देश के विभिन्न वर्गों के नागरिकों तथा विदेशों से काफी सराहना मिली। उन्होंने प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति पद पर चुनाव से पहले ही कहा था कि भारत को सबसे योग्य राष्ट्रपति मिलने जा रहा है।
राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के अध्यक्ष भी रहे
सितंबर 2006 में सोमनाथ चटर्जी को अबुजा, नाइजीरिया में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ का अध्यक्ष चुना गया। उनके नेतृत्व तथा समर्थ दिशानिर्देश में भारत ने सितम्बर, 2007 के दौरान नई दिल्ली में 53वें सीपीए सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी की जिसमें 52 देशों को विविध क्षेत्रों में भारत की उपलब्धियों से अवगत कराया गया।
लोकसभा स्पीकर रहते शुरू कराया लोकसभा टीवी
लोकसभा अध्यक्ष के रूप में व्यापक मीडिया कवरेज प्रदान करने हेतु सोमनाथ चटर्जी के प्रयासों से ही 24 जुलाई 2006 से 24 घंटे का लोकसभा टेलीविजन शुरू किया गया। उनके लोकसभा अध्यक्ष पर रहते हुए उनकी पहल पर ही भारत की लोकतांत्रिक विरासत पर अत्याधुनिक संसदीय संग्रहालय की स्थापना की गई। 14 अगस्त 2006 को इस संग्रहालय का उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति के कर कमलों से किया गया। यह संग्रहालय जनता के दर्शन करने के लिए खुला है।
पीएम सहित कई दिग्ग्ज नेताओं ने सोमनाथ चटर्जी के निधन पर जताया दुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि चटर्जी ने भारतीय लोकतंत्र को समृद्ध बनाया था। प्रधानमंत्री ने चटर्जी को भारतीय राजनीति का कद्दावर नेता बताते हुए कहा कि उन्होंने संसदीय लोकतंत्र को समृद्ध बनाया और वह गरीब तथा कमजोर तबके के कल्याण के लिए एक मुखर आवाज थे। मोदी ने ट्वीट किया, ‘मैं उनके निधन से दुखी हूं। उनके परिवार तथा समर्थकों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।
पूर्व उपराष्ट्रपति एम हामिद अंसारी ने सोमनाथ चटर्जी के निधन पर शोक जताया। अंसारी ने उन्हें एक असाधारण व्यक्ति और एक प्रतिष्ठित सांसद बताया। अंसारी ने एक वक्तव्य में कहा, श्री सोमनाथ चटर्जी के निधन पर मैं गहरा दुख प्रकट करता हूं। उन्होंने कहा, वह एक असाधारण मनुष्य थे, एक विशिष्ट सांसद और बेहद स्पष्ट सोच वाले लोकसभा अध्यक्ष थे। मेरी संवेदनाएं उनके शोकसंतप्त परिवार के साथ हैं।”
भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने शोक जताते हुए ट्वीट किया कि लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के निधन के बारे में जानकर दुखी हूं। वह एक बेहतरीन सांसद थे, सदन के सदस्य के तौर पर उनके लंबे कार्यकाल ने हमारी संसदीय परंपराओं को समृद्ध बनाया। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और समर्थकों के साथ है। चटर्जी किडनी संबंधी बीमारी से पीड़ित थे और बीते मंगलवार को उन्हें नाजुक हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था।