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पटना: बिहार में अभी विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन कोरोना संक्रमण के बावजूद सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। बयानबाजी का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। इन दिनों सबसे ज्यादा तल्खी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के घटक दलों के बीच दिख रही है। लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) और जनता जल युनाइटेड (जेडीयू) के बीच तकरार बढ़ती जा रही है।

लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने शनिवार को बिहार में नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ अपने रुख में सख्ती दिखाई। हालांकि उन्होंने समर्थन वापसी को लेकर कोई घोषणा नहीं की। आपको यह भी बता दें कि उनके समर्थन वापस लेने से नीतीश कुमार की सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है।

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पार्टी के राज्य मुख्यालय में ध्वजारोहण के बाद चिराग पासवान ने हालांकि संकेत दिया कि निकट भविष्य में समर्थन वापस लेने संबंधी किसी कदम की संभावना है, क्योंकि वह लोजपा संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाने की योजना बना रहे हैं।

 

पार्टी के सूत्रों ने कहा कि चिराग ने अपने भाषण में भाजपा नीत एनडीए से अलग होने की अटकलों को खारिज किया और जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति लोजपा की निष्ठा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जद (यू) की तुलना में गहरी है।

भ्रष्टाचार, कानून एवं व्यवस्था, आर्थिक विकास और कोविड-19 महामारी से निपटने के मुद्दों पर बिहार सरकार पर अपने हमलों का बचाव करते हुए लोजपा अध्यक्ष ने कहा कि 15 साल बनाम 15 साल के आधार पर लगातार चौथे कार्यकाल के लिए फिर से चुनाव लड़ने की नीतीश कुमार की कोशिश में गहरा दोष है।

 

 

 

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