मुजफ्फरपुर: बिहार में श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज व अस्पताल से पास मिले नरमुंड का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। नरमुंडों के रहस्य का पता लगाने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन कर जांच शुरू कर दी गई है। साथ ही इसकी रिपोर्ट तीन दिन के अंदर सौंपने के आदेश दिये गए हैं। मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच के पास नरमुंड मिलने के बाद यह अस्पताल सुर्खियों में आया था। अस्पताल में ज्यादातर उन्हीं मरीजों का इलाज चल रहा है जो चमकी बुखार से पीड़ित हैं। यहां जून में बुखार (इनसेफलाइटिस) से पीड़ित 140 बच्चों की मौत हो चुकी है। ऐसे समय में नरमुंड मिलने से मामला और भी संदिग्ध व गंभीर हो गया है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए मुजफ्फरपुर से डीएम आलोक रंजन घोष ने सोमवार को समिति का गठन किया। साथ ही टीम को जांच कर तीन दिन के अंदर ही रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। इस तीन सदस्यीय टीम में फार्माकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. दीपक कुमार के स्थान पर डॉ. चम्मन को शामिल किया गया है।
टीम गठन होने के बाद सदस्यों ने परिसर में स्थित वन विभाग के मजदूरों से कई बिंदुओं पर पूछताछ भी की। टीम ने सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले हैं।
ढाई साल पहले हुआ था नर कंकालों की तस्करी का खुलासा
बिहार के मुजफ्फरपुर में अस्पताल के पीछे बड़ी मात्रा में मानव कंकाल फेंके मिले हैं। दिमागी बुखार से पीड़ित बच्चों का जिस श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (एसकेएमसीएच) में इलाज चल रहा है, उसी के पीछे ये नर कंकाल मिले हैं। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि लावारिस लाशों का पोस्टमार्टम कर बिना अंतिम संस्कार किए अस्पताल के पीछे फेंक दिए गए हैं। मामले में प्रशासन ने स्पेशल कमिटी गठित कर जांच कराने की बात कही है।
मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी (डीएम) आलोक रंजन घोष ने अस्पताल प्रशासन से इस संबंध में रिपोर्ट तलब की है। एसकेएमसीएच में करीब ढाई साल पहले नर कंकालों की तस्करी का खुलासा हुआ था। अस्पताल के पीछे बड़ी मात्रा में नर कंकाल मिले हैं और महिला-पुरुषों के कपड़े भी फेंके पड़े हुए मिले हैं। इस संबंध में एसकेएमसीएच के अधीक्षक एसके शाही ने कहा कि मानव कंकालों के मिलने की जानकारी मिली है। पोस्टमार्टम हाउस कॉलेज प्रिंसिपल के अधिकार क्षेत्र में हैं। वह प्रिंसिपल से बात करेंगे और जांच समिति गठित कर जांच कराने को कहेंगे।
उन्होंने कहा कि ऐसी लापरवाही क्यों हो रही है, इसकी जांच जरुरी है। मानवीय संवेदना का ध्यान रखते हुए शवों का अंतिम संस्कार कराना चाहिए न कि उसे यूं ही फेंक दिया जाना चाहिए। मालूम हो कि नियमों के अनुसार अज्ञात शवों के अंतिम संस्कार के समय एक पुलिसकर्मी की उपस्थिति जरुरी होती है। इसके बावजूद शवों को ऐसे ही क्यों फेंका जा रहा है, यह जांच का विषय है।
एसकेएमसीएच के डॉ. विपिन कुमार मौके पर पहुंचे और उन्होंने भी बड़ी मात्रा में फेंके गए नर कंकालों को देखा। उन्होंने कहा कि इस बारे में आधिकारिक जानकारी कॉलेज प्राचार्य ही देंगे।
मानव कंकाल को अवैध रूप से 8,000 रुपये में बेचते थे
एसकेएमसीएच में करीब ढाई साल पहले नर कंकालों की तस्करी का खुलासा हुआ था। प्रभात खबर की रिपोर्ट के अनुसार एक मीडिया स्टिंग ऑपरेशन में खुलासा किया गया था कि अज्ञात शवों के कंकालों का अवैध व्यापार किया जाता है। नवंबर 2016 में खुलासा होने के बाद तत्कालीन सिविल सर्जन ललित सिंह ने मामले की जांच करवाई थी। स्टिंग ऑपरेशन में दिखाया गया था कि शव गृह(पोस्टमॉर्टम हाउस) में काम करने वाले निजी सफाई कर्मचारी प्रत्येक मानव कंकाल को अवैध रूप से 8,000 रुपये में बेचते थे। अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार करने की बजाय शरीर से मांसपेशियां और चमड़ा हटाकर उन्हें अवैध व्यापार के लिए संरक्षित रखा जाता था और फिर बेच दिया जाता था।
20 हजार में हुआ था तीन कंकालों का सौदा
स्टिंग ऑपरेशन में शामिल सदस्यों ने काफी मोल-जोल के बाद तीन कंकाल 20 हजार रुपये में उपलब्ध कराने का सौदा तय किया था। अग्रिम राशि लेने के बाद एक कंकाल को पोस्टमॉर्टम हाउस के सामने शौचालय की छत पर रखा गया था। जिन लोगों ने यह सौदा किया था, उन्होंने कंकाल उस समय नहीं लिये और यह कहते हुए वे बाकी रकम के साथ बाद में आएंगे। इस खुलासे के बाद राज्य भर में मामले ने काफी तूल पकड़ा था और जांच के बाद कार्रवाई की बात कही गई थी।