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पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि भविष्य में जदयू का केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने का अब सवाल ही नहीं है। गठबंधन में प्रारंभ में जो बातें होती हैं, वही आखिरी होती है। मंत्रिमंडल में सांकेतिक रूप से शामिल होना के प्रस्ताव को जदयू की कोर कमेटी ने उचित नहीं समझा। घटक दलों का प्रतिनिधित्व सांकेतिक नहीं बल्कि अनुपातिक होना चाहिए। मुख्यमंत्री शुक्रवार को दिल्ली से लौटने के बाद पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वैसे किसी बात में जदयू भाग नहीं लेगा, जिसमें मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व की बात होगी। बाद में मंत्रिमंडल में शामिल होने पर संदेश जाएगा कि अधिक सीट जदयू चाहता था, इसलिए नाराज था। जब सीटें मिल गईं तो वह शामिल हो गया।

बिहार के मुख्यमंत्री व जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार शुक्रवार को दिल्ली से पटना पहुंचे। नीतीश ने कहा कि जो प्रस्ताव भाजपा की ओर से था, उसके अनुरूप केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होना जदयू के लिए उचित नहीं था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एनडीए की बैठक के बाद संसदीय दल की बैठक हुई थी, जिसमें नरेंद्र मोदी को नेता चुना गया। उसके बाद राष्ट्रपति भवन जाकर हमलोगों ने समर्थन पत्र सौंपा। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बुलावे पर 29 मई को हम दिल्ली गये थे। उसी समय मुझसे यह बात कही गयी कि एनडीए के जिन घटक दलों के सांसद निर्वाचित हुए हैं, वैसे सभी दलों को मंत्रीपरिषद में सांकेतिक रूप से एक-एक सीट पर प्रतिनिधित्व देना चाहते हैं। फिर हमने जदयू कोर कमेटी में यह बात रखी, तो सभी ने कहा कि सांकेतिक भागीदारी आवश्यक नहीं है।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि हमारी पार्टी की लोकसभा में 16 और राज्यसभा में छह सीटें हैं, जो सभी बिहार से हैं। मंत्रिपरिषद में शामिल होने के लिए हमने कभी कोई प्रपोजल नहीं दिया।

भाजपा की हारी आठ सीटों पर जदयू जीता

मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा की हारी हुई आठ संसदीय सीटों पर जदयू ने जीत हासिल की है। किशनगंज के परिणाम की किसी को उम्मीद नहीं थी। सवालिये लहजे में कहा कि किसके वोटर भीषण गर्मी में कतार में अधिक दिख रहे थे। उन्होंने कहा कि जो लोग हमारे साथ हैं, वे वोट को लेकर मुखर नहीं हैं। चुप रहते हैं और बड़ी संख्या में जाकर वोट डालते हैं। अतिपिछड़ा, महादलित और महिला वोटरों की कतार अधिक दिखी बूथों पर। बिहार में हुई बड़ी जीत जनता की जीत है।

उन्होंने कहा कि पहले से ही हम यह कहते रहे हैं कि पिछड़े राज्यों को पिछड़ेपन से दूर निकालने एवं महिला सशक्तिकरण की दिशा में विशेष पहल करने की आवश्यकता है। धारा-370, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा जैसे मसले पर हमलोगों की राय पब्लिक डोमेन में है।

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