पटना: लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद बिहार में राजद के बागी नेता ने लालू प्रसाद के बेटे और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर हमला बोला है। राजद के बागी नेता महेश यादव ने तेजस्वी यादव से नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफे की मांग की है। उनका कहना है कि लोग वंशवाद की राजनीति से त्रस्त हो चुके हैं और कई ऐसे राजद विधायक हैं, जो अब पार्टी में घुटन महसूस कर रहे हैं। बता दें कि लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल को एक भी सीट नहीं मिली है। उम्मीद की जा रही थी कि गठबंधन बिहार में एनडीए को टक्कर देगा, मगर परिणाम इसके ठीक उलट आए।
राजद के बागी नेता महेश यादव ने कहा, तेजस्वी यादव को विपक्ष के नेता के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए, क्योंकि लोग वंशवाद की राजनीति से तंग आ चुके हैं। मैं किसी का नाम नहीं लूंगा, मगर कई विधायक हैं जो अब घुटन महसूस कर रहे हैं। मुजफ्फरपुर जिले के गायघाट से राजद विधायक महेश्वर प्रसाद यादव ने यहां सोमवार को पत्रकारों से कहा कि परिवारवाद के कारण राजद की यह दुर्गति हुई है।
उन्होंने कहा, “राजद परिवार के चक्कर में उलझा हुआ है, और उसी के कारण पाटीर् की बुरी हालत हुई है।” उन्होंने राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाने से लेकर तेजस्वी को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने और सरकार से बाहर होने के बाद विपक्ष का नेता बनाए जाने का उदाहरण देते हुए कहा कि राजद में कई वरिष्ठ नेता हैं, जिन्हें यह जिम्मेदारी दी सकती थी, परंतु परिवारवाद के कारण परिवार के लोगों को ही जिम्मेदारी दी गई।
उन्होंने कहा, “तेजस्वी को बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। अगर तेजस्वी इस्तीफा देकर किसी बड़े नेता को यहां नहीं बैठाते हैं तो अगले चुनाव में पाटीर् की और दुर्दशा होगी।”उन्होंने यह भी कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के साथ जाने के बाद ही राजद को यह सफलता मिली, वरना राजद को विधानसभा में इतनी सीटें नहीं मिलतीं।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 सीटों में से राजद नीत महागठबंधन में शामिल कांग्रेस को एक सीट मिली, जबकि राजद का खाता तक नहीं खुला। इस लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के दो प्रमुख घटक दल राजद और कांग्रेस का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा। राजद न सिर्फ सबसे कम सीट पर लड़ा, बल्कि सभी सीटों पर हार गया। साथ ही, उसे मिले वोट प्रतिशत को देखें, तो अब तक का यह सबसे कम रहा। पार्टी ने इस बार मात्र 19 सीटों पर उम्मीदवार दिए, उसे सिर्फ 15.36 प्रतिशत वोट मिले और सीटें तो एक भी नहीं जीत पाई।
वहीं, गत लोकसभा चुनाव के नतीजों से तुलना करें तो इस बार कांग्रेस की सीटें भले घट गई हों, लेकिन वोट का प्रतिशत बढ़ गया है। आंकड़े बता रहे हैं कि इस चुनाव में पांच प्रतिशत वोट घटे तो राजद की लुटिया डूब गई। पिछले दो चुनावों में लगभग 20 प्रतिशत वोट पाने के बावजूद राजद को चार-चार सीटें मिली थीं। लेकिन इस बार वोटों का प्रतिशत 15.36 पर पहुंचा तो सीटों की संख्या शून्य हो गई।