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मुंबई: मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद संजय राउत की जेल हिरासत 14 दिन के लिए बढ़ा दी गई है। इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को शिवसेना सांसद संजय राउत की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दावा किया था कि पात्रा चॉल पुन:विकास परियोजना से जुड़े धन शोधन में नेता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और ‘पर्दे के पीछे' रह काम किया है। राज्यसभा सदस्य को इस मामले में जुलाई में गिरफ्तार किया गया और फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं। उन्होंने विशेष पीएमएलए (धन शोधन निषेध कानून) अदालत में जमानत की अर्जी दी है। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने राउत की इस दलील को खारिज किया कि उनके खिलाफ कार्रवाई राजनीतिक बदले के रूप में की गई है।

जांच एजेंसी ने कहा कि आरोपी ने अपने प्रॉक्सी और करीबी सहयोगी प्रवीण राउत (सह-आरोपी) के जरिए अपराध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। धन के लेन-देन से बचने के लिए वह (संजय राउत) पर्दे के पीछे से काम कर रहे हैं।'' ईडी पात्रा चॉल पुन:विकास परियोजना में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही है।

उपनगर गोरेगांव में स्थित सिद्धार्थ नगर, जोकि पात्रा चॉल के नाम से लोकप्रिय है.. 47 एकड़ से ज्यादा भूमि में फैला हुआ है और उसमें 672 किराएदार परिवार रहते थे।

महाराष्ट्र आवासीय आर क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (महाडा) ने 2008 में पात्रा चॉल के पुन:विकास का काम एचडीआईएल से जुड़ी कंपनी गुरु आशीष कंस्ट्रेक्शन प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा। निविदा के अनुसार, कंस्ट्रक्शन कंपनी को किराएदारों के लिए 672 फ्लैट बनाने थे और कुछ फ्लैट उसे महाडा को भी देने थे। बाकी बची जमीन वह निजी डेवलपर्स को बेच सकता था, लेकिन 14 साल बाद भी किराएदारों को एक फ्लैट नहीं मिला क्योंकि कंपनी ने पात्रा चॉल का पुन:विकास नहीं किया और सारी जमीन को दूसरे बिल्डरों को 1,034 करोड़ रुपये में बेच दी।

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