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मुबंई: अरुणाचल प्रदेश में चीन द्वारा गांव बसाने की रिपोर्ट के बाद से ही भारत की सियासत में भूचाल है। एक ओर जहां कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर है, वहीं भाजपा इसे कांग्रेस सरकार की गलतियों का नतीजा बता रही है। इस बीच शिवसेना ने भी मोदी सरकार पर हमला बोला है और कहा कि चीन ने हमारी सीमा में घुसकर गांव बसा लिया और केंद्र सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए मोदी सरकार से पूछा है कि आखिर अरुणाचल प्रदेश के चीनी गांव पर हथौड़ा कब चलाओगे?

मुखपत्र सामना के संपादकीय में शिवसेना ने मोदी सरकार पर हमलावर रुख अपनाते हुए कहा, 'अरुणाचल प्रदेश से आने वाली चीन की घुसपैठ की खबर धक्का देने वाली और भारत की की चिंता बढ़ाने वाली है। शिवसेना ने कहा कि चीन ने जो लद्दाख में किया, अब वही अरुणाचल प्रदेश में कर रहा है। चीन ने भारत की सीमा में घुसकर अरुणाचल प्रदेश के सीमा क्षेत्र में एक पूरा गांव बसा लिया है। यह सब कुछ एक रात में नहीं हुआ है, कई महीने चीनी सैनिक और वहां के लाल बंदरों की सरकार इस गांव को बसाने में जुटी हुई थी।'

 

शिवसेना ने सवाल किया कि हमारी हद में जब चीन नया गांव बसा रहा था, उस समय हमारे प्रधानसेवक और चौकीदार आदि कहे जानेवाली शक्तिशाली सरकार क्या कर रही थी? किसी गांव में एक घर निर्माण करने के लिए ईंट-पत्थर, सीमेंट, स्टील और रेत के ढेर लाने पड़ते हैं। माल यातायात की शुरुआत होती है और यह बात गांवभर में फैल जाती है कि कहीं निर्माण कार्य शुरू है। यहां तो एक-दो घर ही नहीं, बल्कि पूरा गांव ही बसा दिया गया लेकिन किसी भी प्रकार का शोर नहीं हुआ। 

शिवसेना ने सामना में आगे लिखा, 'अरुणाचल प्रदेश में कई इमारतें खड़ी हो गई और पक्के घरों के निर्माण हुए। इस निर्माण कार्य के लिए चीन के सैनिक और प्रशासन लगातार जुटे हुए थे। निर्माण कार्य के संसाधन आ रहे थे लेकिन हमारी केंद्र की सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। लद्दाख में भी इसी प्रकार कई किलोमीटर भीतर घुसकर चीन ने भारत की हजारों वर्ग किलोमीटर जमीन हड़प ली। उसी तरह फिर एक बार चीनियों ने अरुणाचल में हिंदुस्थान की सीमा में एक नया गांव बसा डाला। हालांकि ऐसा एक ही गांव बसाया गया है या दो-तीन गांव बना लिए गए हैं, यह साफ नहीं हो पाया है। इसकी जानकारी तो विदेश मंत्रालय ही दे सकता है।'

गलवान की घटना का जिक्र कर शिवसेना ने कहा कि दुर्भाग्य यह है कि लद्दाख की गलवान घाटी में चीनियों ने जब घुसपैठ की, तब मोदी सरकार ने दावा किया था कि चीनी सैनिक हमारी सीमा में घुसे ही नहीं। क्योंकि चीन की सरकार ने गलवान घाटी में घुसपैठ की बात से पहले इनकार किया था। बदनामी के डर से हमारी सरकार की शुरुआती भूमिका भी यही थी, जिससे चीन को मौका मिला और उसने गलवान घाटी में अपने आपको मजबूत कर लिया। चीन द्वारा बसाए गांव के इस सबूत को देखकर देश के किसी भी नागरिक का दिमाग गर्मा जाएगा। सवाल सिर्फ इतना है कि जनता के मन की आग सरकार के दिमाग में जाएगी क्या?'

सामना में लिखा गया कि भारत सरकार की ओर से अरुणाचल में चीनी गांव के बारे में अब तक न कोई निषेध व्यक्त किया गया और न ही किसी प्रकार की प्रतिक्रिया आई है। शिवसेना ने कहा कि चीनी घुसपैठ करके भारत को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। यह सब कब तक सहा जाएगा? ‘अब आंखों में आंखें डालकर बात होगी’ ऐसी पंक्ति वाली विदेश नीति खुद प्रधानमंत्री मोदी ने घोषित की थी, जो बहुत प्रसिद्ध हुई थी। उसी बयान को ध्यान में रखते हुए हिंदुस्थान में चीनी गांव बसानेवाले चीनियों के खिलाफ प्रधानमंत्री जरूर एकाध ‘मास्टरस्ट्रोक’ मारेंगे, ऐसी आशा करने में कोई हर्जा नहीं है। अरुणाचल प्रदेश के चीनी गांव पर हथौड़ा कब चलाओगे?'

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