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मुंबई: चीन के साथ सीमा विवाद पर शिवसेना ने मंगलवार को कहा कि पड़ोसी देश चीन को जवाब देने के लिए भारत को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर निर्भर रहने के बजाय आत्मनिर्भर होना पड़ेगा। शिवसेना के मुखपत्र सामना में यह भी कहा गया है कि चीन के साथ कारोबार 20 बहादुर सैनिकों की कुर्बानी का अपमान होगा जो पिछले सप्ताह गलवान घाटी में चीन के सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में शहीद हुए। मराठी भाषा के मुखपत्र में कहा गया, अगर हम चीन के साथ लड़ना चाहते हैं तो राजनीति कम होनी चाहिए और राष्ट्रीय हित ज्यादा होना चाहिए। इसके लिए हमें राष्ट्रपति ट्रंप की जरूरत नहीं है। हमें आत्मनिर्भर होना पड़ेगा।

सामना में कहा गया, चीन के साथ कारोबार करना 20 बहादुर सैनिकों की शहादत का अपमान है। शिवसेना ने कहा है कि अगर भारत चीन की आर्थिक कमर तोड़ना चाहता है तो उसे विनिर्माण क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान देना होगा। सामना में कहा गया है, हमें औद्योगीकरण की रफ्तार बढ़ाने के लिए बड़े कार्यक्रमों की घोषणा करनी होगी। इसके लिए हमें पूंजी के साथ साथ बिजली की जरूरत है। औद्योगीकरण की नींव कृषि विकास है जिसे हमें मजबूत करने की जरूरत है।

शिवसेना ने कहा कि देश में चीनी निवेश को लेकर क्या किया जाए, इसपर नरेंद्र मोदी सरकार को एक नीति की घोषणा करनी होगी। उद्वव ठाकरे नीत पार्टी ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने चीन की तीन कंपनियों के साथ 5,000 करोड़ रुपए मूल्य के एमओयू (समझौता ज्ञापन) अभी रोक दिए हैं। पार्टी ने कहा, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और गुजरात में भी चीनी निवेश हैं। वे उसके साथ क्या करेंगे?

सामना में कहा गया है कि भारत फार्मास्यूटिकल, रसायन, ऑटोमोबाइल के लिए कच्चे माल और इलेक्ट्रोनिक्स के लिए चीन पर निर्भर है। गलवान घाटी में झड़प के बाद बीएसएनएल और रेलवे ने चीनी कंपनियों के साथ संविदा खत्म कर दिया और महाराष्ट्र ने भी ऑटोमोबाइल क्षेत्र की तीन संविदाओं पर अभी रोक लगा दी है।

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