मुंबई: करीब नौ हजार करोड़ रुपये का बैंक लोन लेकर देश से भागे शराब कारोबारी विजय माल्या पर आज स्पेशल पीएमएलए कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। विशेष अदालत ने विजय माल्या 'आर्थिक भगोड़ा' घोषित कर दिया। प्रवर्तन निदेशालय ने विजय माल्या को आर्थिक अपराधी घोषित करने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी। मुबंई कोर्ट की तरफ से ईडी के पक्ष में फैसला सुनाने के बाद माल्या नए कानून के तहत देश का पहला आर्थिक भगोड़ा बन गया।
गौरतलब है कि विशेष कोर्ट ने इस फैसले को 26 दिसंबर 2018 को 5 जनवरी 2019 तक के लिए सुरक्षित रखा था। विजय माल्या ने पीएमएलए कोर्ट में यह दलील थी कि वह आर्थिक भगोड़ा अपराधी नहीं है, न ही मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में शामिल है। बता दें कि विजय माल्या ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। साथ ही माल्या ने मांग की थी कि कोर्ट उसकी संपत्तियों को जब्त करने की कार्रवाई पर भी रोक लगाए। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी याचिका में माल्या को आर्थिक अपराध में भगोड़ा घोषित करने की मांग की थी। साथ ही उसकी संपत्ति जब्त की जाए और नए एफईओ कानून के प्रावधानों के तहत उसे केंद्र के नियंत्रण में लाया जाए।
खास बात यह है कि ईडी ने अपने पहले के आवेदन में कहा था कि माल्या का शुरुआत से ही ऋण चुकाने का कोई इरादा नहीं था, जबकि उसके और एमएस यूबीएचएल (यूनाइटेड ब्रेवरीज होल्डिंग्स लिमिटेड) के पास पर्याप्त संपत्तियां थीं। जो ऋण चुकाने के लिए पर्याप्त थीं, माल्या ने जानबूझकर ऐसा किया है। इसलिए माल्या आर्थिक भगोड़ा अपराधी घोषित किया जाए और उसकी संपत्ति जब्त की जाए। माल्या के आर्थिक रूप से भगोड़ा घोषित हो जाने के बाद उसकी संपत्ति तुरंत प्रभाव से जब्त की जा सकती है।
इसके साथ-साथ आर्थिक भगोड़ा की सूची में वो भी आता है जिसके विरुद्ध सूचीबद्ध अपराधों के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया होता है। यानी की नीरव मोदी और मेहुल चौकसी पर भी इस कार्रवाई की तलवार चल सकती है।
गौरतलब है कि शराब कारोबारी और भारतीय बैंकों से कर्ज लेकर देश छोड़कर भागने वाले विजय माल्या बैंकों के कर्ज चुकता करने को तैयार हैं। विजय माल्या ने ट्वीट कर कहा है था कि वह भारतीय बैकों के सारे कर्ज चुकता करने को तैयार हैं, मगर वह ब्याज नहीं दे सकता है।