मुंबई: करीब एक महीने पहले महाराष्ट्र विधानसभा में मराठाओं के लिए नौकरी और शिक्षा में अलग से कोटे का बिल पास होने के बाद मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने कहा कि बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए आरक्षण उसका समाधान नहीं है। महाराष्ट्र में एक कार्यक्रम के दौरान फड़णवीस ने कहा- “अगर सभी समुदाय को आरक्षण दिया जाएगा, उसके बाद भी देश की 90 फीसदी युवाओं को सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकेगी। सरकार प्रति वर्ष सिर्फ 25 हजार नौकरी ही दे सकती है। आरक्षण उसका समाधान नहीं है।”
महाराष्ट्र विधानसभा में पिछले साल नवंबर में मराठा समुदाय के लोगों के लिए नौकरी और पढ़ाई में राज्य के अंदर आरक्षण के लिए 16 फीसदी कोटे का बिल पास किया गया था। काफी समय के लंबित पड़े मांगों के बाद मराठाओं को पिछड़ा समुदाय घोषित किया गया था।
हाल के महीनों में नौकरी और शिक्षा में आरक्षण के पक्ष और उसके विरोध में देश के कई हिस्सों से आवाज उठी और कोटा नीति को राज्य और केन्द्रीय स्तर पर समीक्षा करने की मांग की गई।