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नई दिल्ली: तीन राज्यों में हार के बाद भाजपा में विरोध की सुगबुगाहट दिखने लगी है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि नेतृत्व को हार और विफलता की भी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए। इशारों-इशारों में गडकरी ने कहा कि कोई भी सफलता की तरह विफलता की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता है। सफलता के कई पिता हैं, लेकिन विफलता अनाथ है। जब भी सफलता मिलती है को उसका श्रेय लूटने की होड़ मच जाती है, लेकिन जब विफलता होती है तो हर कोई एक दूसरे पर उंगली उठाना शुरू कर देता है। वह पुणे जिला शहरी सहकारी बैंक एसोसिएशन लिमिटेड द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी अपनी साफगोई के लिए जाने जाते हैं। बैंक के संदर्भ में बात करते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि कई बार बैंक सफल हो जाते हैं, तो कई बार बैंक बंद भी हो जाते हैं। संस्थान को दोनों ही स्थितियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन राजनीति में जब सफलता मिलती है, तो उसका श्रेय लेने की होड़ लग जाती है और जब हार से सामना होता है तो कोई भी आपसे पूछने नहीं आता है।

राजनीति पर बात करते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि चाहे लोकसभा चुनाव हो या फिर विधानसभा का चुनाव। कोई भी प्रत्याशी हार जाने के बाद बहाने बनाने लगता है। मसलन पार्टी से उसे वह सपोर्ट नहीं मिला, वगैरह, वगैरह... लेकिन हर हार के पीछे एक कारण जरूर होता है कि या तो पार्टी लोगों का भरोसा जीत नहीं पाई या फिर पार्टी का प्रत्याशी लोगों का भरोसा जीतने में नाकाम रहा।

एक हारे हुए प्रत्याशी की कहानी बताते हुए वह कहने लगे कि एक प्रत्याशी हार के बाद मुझसे शिकायत करने लगा कि मेरे पोस्टर्स समय पर नहीं छपे, जो रैली मैंने रखी थी वह कैंसिल हो गई। फंड मुझे समय पर नहीं मिला। गडकरी ने आगे बताया कि उस प्रत्याशी से मैंने कहा कि तुम इसलिए हारे क्योंकि तुम्हारी पार्टी और तुम लोगों का विश्वास जीतने में विफल रहे।

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