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मुंबई: सरकार द्वारा मांगें मानने का भरोसा दिए जाने के बाद मुंबई में किसानों ने अपना आंदोलन  वापस ले लिया है। गुरुवार शाम को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानभवन में किसान नेताओं से मुलाकात की और उनकी सभी मांगे मानने का भरोसा दिलाया। इसके बाद किसानों ने अपना आंदोलन खत्म कर दिया। बता दें कि महाराष्ट्र के करीब 20 हज़ार किसान अपनी मांगों को लेकर मुंबई के आजाद मैदान पहुंचे थे।

दरअसल, सूखे के लिये मुआवजे और आदिवासियों को वन्य अधिकार सौंपे जाने की मांग को लेकर हजारों किसान एवं आदिवासियों ने बुधवार को ठाणे से मुंबई तक दो दिवसीय मार्च शुरू किया था। स्वराज अभियान के मुखिया और आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता योगेंद्र यादव और संरक्षणवादी डॉ राजेंद्र सिंह इस किसान मार्च का नेतृत्व कर रहे थे। दरअसल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पंजाब में बीते 6 महीने से लगातार अपनी मांगों को लेकर और सरकार के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।

गुरुवार शाम को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानभवन में किसान नेताओं से मुलाकात की और उनकी सभी मांगे मानने का भरोसा दिलाया। इसके बाद किसानों ने अपना आंदोलन खत्म कर दिया। प्रदर्शनकारी किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल गुरूवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस से मिलकर उन्हें ऋण माफी, जमीन अधिकार समेत अपनी मांगों को फिर से उनके सामने रखा। भाजपा सरकार की तरफ से सुधार के वादों के आठ महीने बाद किसानों ने इस तरह से अपनी मांगें रखी है। विधान भवन में फड़णवीस के साथ बैठक के लिए लोक संघर्ष मोर्चा के बैनर तले प्रदर्शनकारी किसानों के साथ राज्य के जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन भी थे। जिन्होंने ठाणे से लेकर मुंबई तक मार्च किया।

इन किसानों की मांग है कि पिछले साल फड़णवीस की तरफ से किए गए ऋण माफी को लागू किया जाए। साथ ही, फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर एमएस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें मानी जाए। आदिवासी किसानों के भूमि अधिकार और खेतिहर मजदूरों के लिए मुआवजे का ऐलान हो। पिछले साल मार्च में फड़णवीस की तरफ से किए गए वादों को लागू कराने के लिए हजारों किसानों और आदिवासियों ने करीब 40 किलोमीटर पैदल मार्च कर मुंबई पहुंचे। मोर्चा के महासचिव प्रतिभा शिंदे ने बुधवार को कहा था कि वो प्रदर्शनकारी जो अपने साथ दो किलो चावल और एक किलो दाल लेकर आ रहे हैं वह मुंबई में ही रहेंगे जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती है।

जागने की चेतावनी

इससे पहले, प्रदर्शनकारी आजाद मैदान में एकजुट हुए थे। इस मैदान को राजनीतिक रैलियों और प्रदर्शन सभा के लिए भी जाना जाता है। प्रदर्शनकारी किसानों ने इस रैली के दौरान “महाराष्ट्र सरकार जाग जाओ” के नारे भी लगाए। नंदूरबाड़ जिले की रहनेवाली सौ से भी ज्यादा उम्र की जिलाबाई भी उन प्रदर्शनकारियों में शामिल हैं जो ठाणे से पैदल मार्च कर आजाद मैदान पहुंचे। आजाद मैदान में स्टेज पर जिलाबाई को बुलाया गया, जिन्होंने सरकार के खिलाफ आलोचना करनेवाले गाने गए और नारे लगाए।

जलगांव के रहनेवाले सरदार रामसिंह ने मुंबई के मार्च में शामिल होने के लिए अपने बकरे को 14 सौ रूपये में बचे दिया। रामसिंह ने बताया कि उनके पास पांच एकड़ की जमीन थी लेकिन उसे वन विभाग ने ले ली। जिसके बाद वह किसी और की जमीन पर 150 रूपये में खेतिहर मजदूरी का काम कर रहे हैं।

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