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जयपुर: संयुक्त राष्ट्र में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी सूची में डाल दिया है। आतंकवाद के खिलाफ हमारी जंग की यह एक बड़ी जीत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जयपुर में एक रैली के दौरान इस बात का जिक्र किया। यह पहली बार है जब लोकसभा चुनाव के प्रचार में पीएम मोदी ने मसूद अजहर का उल्लेख किया। मोदी ने कहा कि अब देश को जहां पर से भी खतरा होगा वहां पर घुसकर के मारेंगे और अगर वे गोली मारेंगे तो हम गोला मारेंगे।

मोदी ने कहा- आज भारत की बात पूरी दुनिया में सुनी जाती है। भारत की बात को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। मैं डंके की चोट पर कहना चाहता हूं कि ये तो सिर्फ शुरुआत है, आगे-आगे देखिए क्या होता है? मोदी ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में विश्व समुदाय भारत के साथ खड़ा रहा। इसके लिए मैं 130 करोड़ भारतवासियों की तरफ से विश्व समुदाय का आभार व्यक्त करता हूं।

 

गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को बुधवार को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया। भारत के लिए यह एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है। सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति के तहत उसे ''काली सूची" में डालने के एक प्रस्ताव पर चीन द्वारा अपनी रोक हटा लेने के बाद यह कदम उठाया गया।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा अजहर को आतंकी घोषित किए जाने के बाद अब उसकी संपत्ति जब्त हो सकेगी और उस पर यात्रा प्रतिबंध तथा हथियार संबंधी प्रतिबंध लग सकेगा। चीन ने उस प्रस्ताव पर से अपनी रोक हटा ली है जिसे फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा संरा सुरक्षा परिषद की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति में फरवरी में लाया गया था।

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में भारतीय सुरक्षा बलों पर 14 फरवरी को पाक के आतंकी संगठन जैश के आतंकी हमला करने के कुछ ही दिनों बाद यह प्रस्ताव लाया गया था। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो की शक्ति रखने वाले देशों में शामिल चीन अजहर को इस सूची में डाले जाने की कोशिशों में 'तकनीकी रोक' डाल रहा था और प्रस्ताव पर विचार करने के लिए और अधिक वक्त मांग रहा था। यह पूछे जाने पर कि क्या चीन ने अपनी रोक हटा ली है, अकबरूद्दीन ने पीटीआई भाषा से कहा, ''हां, हटा ली गई है।"

प्रतिबंध समिति ने अपना फैसला सदस्यों की आमराय से लिया। बीजिंग का इस प्रस्ताव पर से अपनी रोक हटाना भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है। दरअसल, चीन पर इसके लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव था और खास तौर पर अमेरिका भी दबाव डाल रहा था। संयुक्त राष्ट्र की प्रधान इकाई में राजनयिकों ने यह चेतावनी थी कि यदि चीन ने अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने में अड़ंगा डालना जारी रखा तो सुरक्षा परिषद के जिम्मेदार सदस्य देश अन्य कार्रवाई करने के लिए मजबूर होंगे।

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