ताज़ा खबरें
आम तीर्थयात्री को वीआईपी के समान सुरक्षा की जरूरत:जमात-ए-इस्लामी
मुख्यमंत्री योगी बोले- मृतकों के परिजनों को दिए जाएंगे 25 लाख रुपये
कांग्रेस का घोषणापत्र: 300 यूनिट बिजली मुफ्त, जाति जनगणना का वादा

(आशु सक्सेना): उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी (सपा) के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया है। मुलायम सिंह यादव ने काफी लंबी राजनीतिक पारी खेली है। अपने पूरे राजनीतिक जीवन में उन्होंने अपने धर्म निरपेक्ष राजनीति के उसूलों से कभी समझौता नहीं किया। अपने राजनीतिक कौशल से उन्होंने अयोध्या, काशी और मथुरा वाले उत्तर प्रदेश में 1993 से लेकर 2012 तक कई बार भाजपा को पराजित करने में सफलता हासिल की। हालांकि पिछले कई वर्षों से वे उम्र की वजह से राजनीति में बहुत सक्रिय नहीं थे।

साल 2012 में अपनी सक्रिय राजनीति की आखिरी लड़ाई लड़ते हुए सपा अध्यक्ष के तौर पर मुलायम सिंह ने पार्टी को भारी जीत दिलाई थी और अपने बेटे अखिलेश यादव को सत्ता की कमान सौंपी थी। लेकिन उनके जीवन में एक ऐसा वक्त भी आया जब उन्होंने बेटे अखिलेश यादव और भाई रामगोपाल यादव को सपा से निकालने का एलान कर डाला था। इसके बाद अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव के बीच टकराव का एक पूरा दौर चला, जो आज भी जारी है।

(मनोहर नायक) वह मेरा संयंत्र यानि मेरा ‘राष्ट्रीय ‘ ह्रदय ठीकठाक काम कर रहा है … स्वतंत्रता की पचहत्तरवीं वर्षगाँठ पर वह सहज ख़ुश था… पर यह उसके ठीकठाक होने का अधूरा लक्षण ही होता अगर वह स्वतंत्रता के आज के हाल-हवाल पर विषाद से भरा न होता… बल्कि हुआ यूँ कि यह विषाद धीरे- धीरे संयंत्र की अधिकाधिक जगह घेरता गया ।आज सुबह उठते ही याद आया कि आज स्वतंत्रता- दिवस है ,अमृत- वर्ष वाला … सहज ही पिता सहित ज्ञात-अज्ञात सेनानियों के प्रति मन सम्मान और कृतज्ञता से भर आया… उस भारत- माता का प्रेममय स्मरण हुआ जिसका बखान करते हुए जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि भारत-माता का मतलब है इस देश के नदी, पहाड़, जंगल, खेत- खलिहान, धरती , आकाश, समुद्र और यहाँ रहने वाली जनता … इस अवाम के बिना बाक़ी किसी चीज़ का कोई अर्थ नहीँ।

अंतत: लगने लगा कि एक ख़ास अवसर की ख़ुशी अपनी जगह ठीक है पर आज के दारुण समय में हा-हा-हो-हो जश्न का क्या औचित्य! पिछले कुछ सालों में बना- बनाया और बनता हुआ कैसा बिखेर दिया गया है… सब कुछ विपर्यस्त है… आम जीवन अभावों , शोषण और दुश्चिंताओं से आक्रांत है ,ऐसे में यह उजाड़ पर उत्सव जैसा कुछ लगता रहा।

(आशु सक्सेना): उत्तर प्रदेश में लोकसभा उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) ने दोनों संसदीय सीटों पर उम्मीदवारों के चयन, राज्यसभा प्रत्याशियों और विधान परिषद चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों की घोषणा के साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है। प्रदेश की दो लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा ने दोनों ही क्षेत्रों से अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं। लेकिन बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने सिर्फ आजमगढ़ से प्रत्याशी घोषित किया है। जबकि केंद्र में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने खुद को इस लड़ाई से बाहर कर लिया है। लिहाजा मुकाबला आमने-सामने का है।

सपा ने आजमगढ़ से पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं रामपुर से पार्टी के सबसे बड़े मुसलिम नेता आज़म खां ने नामांकन से ठीक पहले आसीम रज़ा की उम्मीदवारी का एलान किया है। पिछली लोकसभा में धर्मेंद्र यादव पार्टी के उन पांच सांसदों में से एक थे, जो हर मुद्दे पर मोदी सरकार के खिलाफ आक्रामक अंदाज़ में बोलते थे।

(आशु सक्सेना): राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) को संभवत: इस हकीक़त का एहसास हो गया है कि मंदिर-मसजिद मुद्दे की अति चुनावी राजनीति में नुकसान का सौदा हो सकता है। जो कि आरएसएस के मिशन-2024' में बाधक होगा। आरएसएस को आशंका है कि जातिगत धुव्रीकरण के दौर में सांप्रदायिक सौहार्द बिगडने का चुनावी फायदा भाजपा विरोधी ताकतों को मिल सकता है। यही वजह है कि आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में आरएसएस कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए इस मुद्दे पर कुछ हिंदू संगठनों की निंदा की। साथ ही आरएसएस प्रमुख भागवत ने ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा ईदगाह समेत देश अन्य जगहों पर उठ रहे ऐसे विवादों को लेकर बड़ा बयान दिया।

उन्होंने कुछ हिन्दू संगठनों का ज़िक्र करते हुए कहा कि हर दूसरे दिन मस्जिद-मंदिर विवादों को उठाना और विवाद पैदा करना अनुचित है। इन मुद्दों के सौहार्दपूर्ण समाधान की जरूरत है। दोनों पक्षों को एक साथ बैठकर शांति से एक-दूसरे से बात करनी चाहिए। यदि आवश्यक हो तो अदालत के फैसले को स्वीकार करें।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख