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लोकसभा चुनाव: 5वें चरण में राजनाथ, स्मृति, राहुल की प्रतिष्ठा दाव पर

(आशु सक्सेना): पंजाब की गुरूदास पुर लोकसभा सीट से भाजपा सांसद और बैंक के कर्ज को लेकर छिडे़ हालिया विवाद के बाद चर्चा में आए फिल्म स्टार सन्नी देओल के चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा के बाद उभरा नया राजनीतिक परिदृश्य राष्ट्रीय स्तर पर बन रहे विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए (इंडिया) को सूबे में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और प्रमुख विपक्ष कांग्रेस को एक मंच पर लाने में एक बार फिर अहम भूमिका अदा कर सकता है।

आपको याद दिला दें कि आम आदमी पाटी (आप) प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने 2014 में दिल्ली में भाजपा को रोकने की रणनीति के तहत कांग्रेस के बिना शर्त समर्थन की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में अन्ना आंदोलन के बाद अस्तित्व में आयी आम आदमी पार्टी (आप) ने 29 सीटों पर जीत दर्ज करके दिल्ली में जहां कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया था। वहीं दिल्ली की सत्ता की प्रबल दावेदार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को भी सत्तारूढ़ होने से रोक दिया था।

2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुए दिल्ली विधान चुनाव के लिए भाजपा के पीएम उम्मीदवार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने सघन चुनाव प्रचार किया था। इसके बावजूद आम आदमी पार्टी की उपस्थिति ने भाजपा की सत्ता में वापसी को रोक दिया था। 70 सीट वाली विधानसभा में भाजपा ने 32 सीटों पर जीत का परचम लहराया था। जबकि बहुमत का जादुई आंकड़ा 36 था।

दिल्ली में सत्ता से बेदखल होने के बावजूद त्रिशंकु विधानसभा में तीसरे नंबर पर पहुंची कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता पर काबिज होने से रोकने के लिए 29 विधायकों वाली आप को अपने आठ विधायकों के बिना शर्त समर्थन की घोषणा कर दी थी। आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस समर्थन से पहली बार दिल्ली में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। लेकिन पचास दिन बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व में सत्तारूढ़ यूपीए सरकार ने विधानसभा को निलंबित करके राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। उसके बाद लोकसभा चुनाव में केंद्र की सत्ता पर भाजपा पूर्ण बहुमत से काबिज हो गयी और पीएम मोदी के नेतृत्व में दिल्ली पर राज करती रही।

विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी ने किया था प्रचार 

2015 में दिल्लीें विधानसभा के लिए मध्यावधि चुनाव हुए। पीएम मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान पूरी ताकत झौंक दी थी। इस चुनाव में पीएम मोदी ने कहा था कि दिल्ली मिनी इंडिया है और यहां के चुनाव नतीज़े का राष्ट्रीय स्तर पर संदेश जाता है। इसके बावजूद मध्यावधि चुनाव में भाजपा को ना सिर्फ हार का सामना करना पड़ा था बल्कि पीएम मोदी के नेतृत्व में हुए चुनाव में सबसे बड़ा दल भाजपा विधानसभा में प्रमुख विपक्षी पार्टी का दावा करने लायक विधायक जीताने में भी सफल नहीं हो सकी थी। यह बात दीगर है कि इस चुनाव में कांग्रेस अपना खाता नहीं खोल सकी थी। दिलचस्प पहलू यह है कि इस दौरान पीएम मोदी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार पर तंज कसते हुए इस बात का ज़िक्र करते थे कि कांग्रेस सदन में नेता प्रतिपक्ष के पद की दावेदारी के अनुरूप सांसद जिताने में भी सफल नहीं हुई है। इस लिहाज से पीएम मोदी की ‘मिनी इंडिया‘ यानि दिल्ली की विधानसभा चुनाव के नतीजे राष्ट्रीय स्तर पर पीएम मोदी की छवि को लेकर उनकी उम्मीद के विपरित संदेश दे रहे थे। केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे पीएम मोदी की पहली शर्मनाक हार थी। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी दिल्ली की सातों सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रहे थे। इस चुनाव में पार्टियों को मिले मत प्रतिशत के लिहाज से भाजपा के बाद कांग्रेस दूसरे नंबर की पार्टी थी। 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजे़ भी कांग्रेस और आप के एक मंच पर आने  की राजनीतिक प्रतिबद्धता की ओर इशारा कर रहे है।

2024 में भाजपा को रोको रणनीति के तहत पंजाब की गुरूदास पुर संसदीय सीट दोनों दलों के नज़दीक आने और पीएम मोदी को राष्ट्रीय स्तर पर चुनौती का संदेश देने में अहम भूमिका अदा कर सकती है। दिलचस्प पहलू यह है कि पंजाब में भी आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से सत्ता छिनी है और अब सूबे में भाजपा की बढ़त रोकने के लिए प्रमुख विपक्ष कांग्रेस से हाथ मिलाना मौजूदा राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य में एकमात्र विकल्प भी नज़र आ रहा है।

पंजाब में गुरदासपुर लोकसभा एकमात्र संसदीय सीट भाजपा के पास है।  गुरूदास पुर संसदीय सीट से मौजूदा समय में सनी देओल भाजपा सांसद हैं। यह सीट भाजपा के लिए बेहद अहम है। इस सीट पर विनोद खन्ना भी भाजपा की टिकट पर 1999 से 2004 और 2014 से 2017 तक सासंद रहे। विनोद खन्ना के निधन के बाद यहां उपचुनाव में कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ ने जीत दर्ज की थी। लेकिन 2019 में सनी देओल ने इस सीट पर एक बार फिर भाजपा की वापसी करवायी थी। सनी देओल के चुनाव ना लड़ने की घोषणा के बाद जहां यह साफ हो गया कि इस सीट पर भाजपा अपना उम्मीदवार बदलेगी। जाहिरातौर पर इस सीट से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ चुनाव मैदान में होंगे। पंजाब में कांग्रेस और आप के अलग-अलग चुनाव लड़ने परं भाजपा ना केवल इस सीट पर चुनाव जीतने की स्थिति में होगी। बल्कि मत विभाजन के चलते प्रदेश स्तर पर अपनी ताकत बढ़ाती नज़र आएगी। 2014 में भाजपा ने शिअद से साथ गठबंधन में सूबे की दो सीट जीतीं थीं। राष्ट्रीय स्तर पर बन रहे विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए (इंडिया) में पंजाब के यह नये चुनावी समीकरण कांग्रेस और आप को एक बार फिर नज़दीक लाने में अहम भूमिका अदा करते नज़र आ रहे है। 

दरअसल, पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस दो फाड़ हो चुकी थी। कांग्रेसी मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह ने पद से हटने के बाद कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की आलोचना करते हुए ना सिर्फ नयी पार्टी का गठन किया बल्कि पीएम मोदी के डबल इंजन सरकार के नारे के तहत भाजपा से चुनाव तालमेल करके नये राजनीतिक समीकरणों को अंजाम देने का प्रयास किया था। विधानसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने पंजाब में इस नये गठबंधन को सत्ता पर काबिज करने का भरपूर प्रयास किया था। लेकिन उन्हें अपने इस प्रयास में सफलता नहीं मिली। इस सूबे में पीएम मोदी के विशेष प्रयासों के बावजूद भाजपा को एक विधानसभा सीट का नुकसान हुआ था।

2024 के लोकसभा चुनाव में पंजाब की गुरूदास पुर संसदीय सीट पर पीएम मोदी के खिलाफ विपक्ष के आईएनडीआईए (इंडिया) गठबंधन का उम्मीदवार खड़ा करना आप और कांग्रेस के बीच तालमेल की राष्ट्रीय स्तर पर सफलता की पहली कसौटी है। पीएम मोदी ने किसान आंदोलन के बाद सूबे के एनडीए सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) से नाता टूटने के बाद  कदावर कांग्रेसी नेताओं को भाजपा में शामिल करके नये समीकरणों को अमलीजामा पहना लिया है। इसको सिर्फ कांग्रेस और आप के बीच लोकसभा चुनाव में सीटों का तालमेल ही सीधी चुनौती दे सकता है।

किसान आंदोलन के दौरान एनडीए के सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने पीएम मोदी से समर्थन वापस लेकर भाजपा से नाता तोड़ दिया था और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ चुनावी तालमेल किया था। 2024 के लोकसभा चुनाव में फिलहाल इस गठबंधन के बरकरार रहने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। दरअसल, कांग्रेस ने अमरेंद्र सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाकर सूबे में दलित कार्ड खेला था। कांग्रेस ने अमरेंद्र सिंह को पद से हटाकर दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी की ताजपोशी की थी। लेकिन कांग्रेस सत्ता में वापसी करने में सफल नहीं हुई। सूबे की दलित राजनीति के लिहाज से क्षेत्रीय पार्टी शिअद-बसपा गठबंधन को रोकने के लिहाज से भी कांग्रेस और आप का नजदीक आना मौजूदा परिदृश्य में स्वाभाविक विकल्प नज़र आता है।

भाजपा ने गुरूदास पुर लोकसभा सीट से कांग्रेस सांसद रहे सुनील जाखड़ को सूबे की कमान सौंप कर अपनी चुनावी रणनीति साफ कर दी हैं। कांग्रेसी मुख्यमंत्री रहे अमरेंद्र सिंह अपनी पार्टी पीएसी का भाजपा में पहले ही विलय कर चुके है। लिहाजा 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा खासकर पीएम मोदी के लिए गुरूदास पुर लोकसभा सीट को बरकरार रखना बेहद अहम हो गया है। सूबे के नये राजनीतिक समीकरण भी पीएम मोदी के पक्ष में नज़र आ रहे हैं। लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा को रोकने के लिए जो गठबंधन आकार लेगा उसका असर राष्ट्रीय स्तर पर पड़ना स्वाभाविक है। अगर पंजाब की गुरूदास पुर सीट को लेकर सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और प्रमुख विपक्ष कांग्रेस के बीच कोई समझौता होता है, तो इसका असर प्रधानमंत्री मोदी के गृह सूबे गुजरात में देखने को मिल सकता है, जहां पिछले विधानसभा चुनाव में आप ने बेहतर प्रदर्शन किया है और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है। आप को लेकर कांग्रेस का रूख 2014 दिल्ली विधानसभा चुनाव से ही साफ है। कांग्रेस ने सत्ता खोने के बावजूद भाजपा को सत्ता पर काबिज होने से रोकने की प्रतिबद्धता के मद्देनज़र 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले ही आप को बिना शर्त समर्थन दिया था। अब 2024 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी का विजयरथ रोकने के लिए कांग्रेस से तालमेल को स्वीकार करने की जिम्मेदारी आम आदमी पार्टी की है। देश के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस और आप की दोस्ती पीएम मोदी की पिछले 22 सालों से चली आ रहीे अजेय चुनावी यात्रा पर ब्रैक लगाने में मजबूत विकल्प नज़र आ रहा है।

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच कई मुद्दों पर नज़दीकी बनती नज़र आ रही है। दिल्ली विधेयक के मुद्दे पर संसद में कांग्रेस और आप साथ नज़र आये। दिल्ली की लोकसभा सीट को लेकर कांग्रेस के प्रदेश नेताओं के बयान के बाद जब कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने अपना रूख साफ किया, तब आप ने प्रतिक्रिया दी कि कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की सफाई के बाद विवाद खत्म। इसके बाद आईएनडीआईए (इंडिया) की मुंबई में प्रस्तावित बैठक में आप संयोजक अरविंद केजरीवाल के शामिल होने का एलान 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आप के बीच चुनावी गठबंधन की संभावनाओं की ओर इशारा कर रहा है।

 

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