नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फिल्म 'पद्मावती' की रिलीज से पहले आपत्तिनक हिस्से को हटाने के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि वह सेंट्रल बोर्ड ऑफ सर्टिफिकेशन (सेंसर बोर्ड) के काम में दखल नहीं दे सकता है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।
शुक्रवार को याचिकर्ता वरिष्ठ वकील मनोहल लाल शर्मा ने याचिका में संजय लीला भंसाली के खिलाफ इतिहास से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाते हुए फिल्म में ज़रूरी बदलाव करने की मांग की थी। बेंच ने कहा, 'सेंसर बोर्ड ने फ़िल्म को सर्टिफिकेट नहीं दिया है, ऐसे में कोर्ट बोर्ड के काम में दखल नहीं देगा।
सेंसर बोर्ड के कोई फैसला लेने के बाद ही याचिका दाखिल की जा सकती है।' सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की सुनवाई से इंकार करने के साथ, याचिका के कुछ पैराग्राफ को भी हटाने का निर्देश दिए। इन पैराग्राफ में दो समुदाय को लेकर दिए गए विवादित बयान शामिल थे।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कोर्ट की सुनवाई को 'विविधिता में एकता' और 'सौहार्द' को बिगाड़ने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
इससे पहले 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पद्मावती की रिलीज के खिलाफ दायर याचिका को रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि फिल्म को अभी तक सेंसर बोर्ड ने देखा तक नहीं है और न ही फिल्म को कोई सर्टिफिकेट दिया है।
भंसाली निर्देशित 'पद्मावती' शुरुआत से ही विवादों में घिरी हुई है। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म में दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं।