नई दिल्ली: निर्देशक संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' पर अभी तक कई समुदाये अपना विरोध जता चुके हैं और लगातार हो रहे इस विरोध के चलते खुद भंसाली को अपनी इस फिल्म के बचाव में आगे आना पड़ा। भंसाली ने फिल्म में रानी पद्मिनी और अलाउद्दीन खिलजी के बीच किसी तरह के भी ड्रीम सीक्वेंस दिखाने की अफवाह जैसे ही शांत की गई, अब उनकी फिल्म एक और कानूनी पचड़े में फंस गई है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर कर ‘पद्मावती’ फिल्म पर सती प्रथा को महिमा मंडित करने का आरोप लगाया गया है। बता दें कि यह फिल्म राजस्थान की राजपूती रानी पद्मिनी के बार में है, जिन्होंने अलाउद्दीन खिलजी और उसकी सेना के आक्रमण के दौरान अपनी अस्मत बचाने के लिए जौहर कर लिया था।
इस फिल्म में रानी पद्मिनी का किरदार दीपिका पादुकोण निभा रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि याची अपनी बात सक्षम प्राधिकारी के समक्ष अपील के माध्यम से रख सकता है।
यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की पीठ ने कामता प्रसाद सिंघल की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर पारित किया। याची के अधिवक्ता विरेंद्र मिश्रा के मुताबिक याचिका में कहा गया था कि फिल्म मलिक मोहम्मद जायसी की रचना पद्मावत पर आधारित है जिसके अंत में रानी पद्मावती सती हो जाती हैं।
अधिवक्ता के अनुसार याचिका में कहा गया है कि इस बात को फिल्म में दिखाना सती प्रथा को बढावा देना माना जाना चाहिए। सती प्रथा को किसी भी प्रकार से महिमामंडित करना सती प्रथा निवारण अधिनियम के विरुद्ध है और ऐसा करना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। लिहाजा ऐसी फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाई जानी चाहिए।
अदालत ने हालांकि कहा कि याची सिनेमैटोग्राफी एक्ट के प्रावधानों के तहत सेंसर बोर्ड के निर्णय के विरुद्ध सक्षम प्राधिकारी के समक्ष जा सकता है। इस फिल्म में रणवीर सिंह अलाउद्दीन खिलजी की भूमिका में नजर आने वाले हैं।
एक दिन पहले ही निर्देशक संजय लीला भंसाली ने अपना एक वीडियो जारी कर यह साफ किया कि इस फिल्म में कोई ऐसा सीन नहीं है, जिससे किसी भी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचे। उन्होंने साफ किया कि रानी पद्मिनी और अलाउद्दीन खिलजी के बीच कोई ड्रीम सीक्वेंस नहीं है। 'पद्मावती' 1 दिसंबर को रिलीज हो रही है।