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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार ने पहलाज निहलानी को सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटा दिया है। पहलाज की जगह अब फेमस लेखक, गीतकार प्रसून जोशी को ये बड़ी जिम्मेदारी दी है। इसके साथ ही विद्या बालन को सेंसर बोर्ड का सदस्य बनाया गया। बता दें कि पहलाज का कार्यकाल विवादों से काफी भरा रहा है। पहले से ही इस बात के संकेत थे कि उन्हें अध्यक्ष पद की कुर्सी से हाथ धोना पड़ सकता है। 19 जनवरी 2015 में उन्हें सेंसर बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया था। कई फिल्मों पर मनमाने ढंग से कैंची चलाने को लेकर उनकी काफी आलोचना की जा चुकी है। इसके अलावा कई बार अपने बयानों को लेकर भी उन्हें कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है। मार्च 2015 में चीफ बनते ही उन्होंने 70 से ज्यादा कट्स के बावजूद फिल्म 50 शेड्स ऑफ ग्रे को हरी झंडी नहीं दी। ऐसे ही अनुष्का शर्मा की फिल्म एनएच 10 को 9 कट्स के बाद ए सर्टिफिकेट दिया था। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए सेंसर बोर्ड अध्यक्ष पहलाज निहलानी का प्रेम ही शायद इनके लिए ख़तरा बन गया है। दो साल पहले भी इनके हटाए जाने की खबरों ने जोर पकड़ा था लेकिन तब मामला ठंडा पड़ गया।

उस समय भी मोदी प्रेम के चलते पहलाज निहलानी द्वारा तैयार किए गए एक वीडियो से सरकार को नाराज बताया जा रहा था। इस वीडियो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुणगान किया गया था। उन्‍हें इस वीडियो में बतौर 'ऐक्‍शन हीरो' दिखाया गया। सरकारी सूत्रों ने तब कहा था कि थिएटरों में इस म्यूज़िक वीडियो के रिलीज़ से हुई सेंसर बोर्ड की किरकिरी के बाद अब बोर्ड के अध्यक्ष की कुर्सी जा सकती है। निहलानी के इस म्यूज़िक वीडियो में प्रधानमंत्री का ज़िक्र है। सूत्रों ने तब बताया था कि इसे रिलीज़ करने से पहले केंद्र से अनुमति ज़रूरी थी जो नहीं ली गई। बोर्ड में आपसी टकराव और बढ़ती ज़ुबानी जंग भी केंद्र की नाराज़गी बढ़ा चुका है, ऐसे में खबर है कि 24 सदस्यों वाले बोर्ड को भी बदला जा सकता है।

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