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नई दिल्ली: भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने फिरोजशाह कोटला में पिछले 11 साल में मिली पहली हार का ठीकरा बल्लेबाजों के सिर पर फोड़ते हुए यहां कहा कि न्यूजीलैंड के खिलाफ दूसरे वनडे में नियमित अंतराल में विकेट गंवाना टीम को महंगा पड़ा। भारत 243 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 236 रन पर आउट हो गया। भारतीय बल्लेबाजों में केवल तीन बल्लेबाज ही 30 रन की संख्या पार कर पाये। धोनी ने मैच के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘अगर आप पूरे मैच पर गौर करो तो हमने यदि कोई साझेदारी निभायी तो उसके बाद फिर विकेट गंवाये। रन बनाना मुश्किल नहीं था। रन बन रहे थे लेकिन साथ ही विकेट भी गिर रहे थे। हमने नियमित अंतराल में विकेट गंवाये। हमने 41वें ओवर में ही दो विकेट गंवा दिये थे। ’ उन्होंने कहा, ‘अगर बल्लेबाज दस प्रतिशत और योगदान देते तो मैच का परिणाम अलग होता। यह किसी एक बल्लेबाज की नहीं बल्कि पूरे बल्लेबाजी इकाई की जिम्मेदारी थी। गेंदबाजों ने अच्छा प्रदर्शन करके उन्हें कम स्कोर पर रोक दिया था। पिच भले ही मैच आगे बढ़ने के साथ धीमी होती जा रही थी लेकिन इस विकेट पर यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता था। ’ धोनी ने कहा, ‘लक्ष्य का पीछा करते हुए आपको परिस्थिति के हिसाब से खेलना होता है। यदि दूसरी तरफ से विकेट गिरते रहें तो रन बनाना आसान नहीं होता है। असल में जब एक विकेट गिरता या साझेदारी टूटती है तो आपको फिर से नये सिरे से शुरूआत करनी होती है। ’

धोनी से पूछा गया था कि क्या वह पंड्या को सिखाएंगे कि मैच कैसे फिनिश किया जाता है, उन्होंने कहा, ‘यह उसके प्रति कड़ी टिप्पणी होगी। समय के साथ उसे सीख मिलेगी कि मैच एक ओवर पहले समाप्त करना है या उसे आखिरी ओवर तक ले जाने की जरूरत है। उसने जो शाट खेला था यदि वह प्वाइंट के उपर से जाता तो चार रन भी बन सकते थे और तब मैच का परिणाम पूरी तरह से अलग होता। ’ भारतीय कप्तान ने इसके साथ ही टास जीतकर पहले क्षेत्ररक्षण के अपने फैसले को भी सही करार दिया। धोनी ने कहा, ‘टास जीतकर पहले क्षेत्ररक्षण करना सही फैसला था। यदि हमें थोड़ा भी आभास होता है कि ओस पड़ेगी तो हम पहले क्षेत्ररक्षण का फैसला करते हैं। हम जानते हैं कि ओस पड़ने पर हमारे स्पिनर अधिक प्रभावी नहीं होते। इसलिए जहां भी हमें लगता है कि ओस पड़ेगी वहां हमारी प्राथमिकता बाद में बल्लेबाजी करना होता है। ’

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