नई दिल्ली: ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने का बरसो पुराना सपना पूरा होने के बाद भारत की इतिहास रचने वाली जिम्नास्ट दीपा करमाकर ने कहा कि वह इस साल रियो ओलंपिक में पदक जीतने के लिये कोई कोर कसर नहीं रख छोड़ेगी । ओलंपिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट के जरिये रियो ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने वाली दीपा पहली भारतीय महिला जिम्नास्ट बनी। यहां पहुंचने के बाद उसका भव्य स्वागत किया गया। उसने पत्रकारों से कह ,‘ जब से मैंने जिम्नास्टिक शुरू किया है, मैं ओलंपिक खेलना चाहती थी । मैने सपना देखा था कि एक दिन ओलंपिक में अपने देश का नाम रोशन करूंगी । मैने ओलंपिक के लिये क्वालीफाई कर लिया है।’ उसने कहा ,‘अब मैं पहले से ज्यादा मेहनत करूंगी और उम्मीद है कि रियो ओलंपिक में पदक जीत सकूं । मैं पूरा प्रयास करूंगी कि इतिहास रचती रहूं । यही मेरा लक्ष्य है ।’ ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने में लगी मेहनत के बारे में उसने कहा ,‘मैं पिछले साल विश्व चैम्पियनशिप के जरिये ही ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करना चाहती थी लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इसके बाद मैने रियो टेस्ट इवेंट को लक्ष्य बनाया और मुझे लक्ष्य हासिल करने की खुशी है।’
तमाम प्रशंसाओं के बावजूद त्रिपुरा की इस जिम्नास्ट ने कहा कि वह खुद को स्टार खिलाड़ी नहीं मानती । करमाकर ने कहा ,‘मैं कोई स्टार नहीं हूं । मैं इस तरह से नहीं सोचती । मेरा काम मेहनत करते रहना है । ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करना मेरा लक्ष्य है ।’ ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने में लगी मेहनत के बारे में उसने कहा ,‘ मैं पिछले साल विश्व चैम्पियनशिप के जरिये ही ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करना चाहती थी लेकिन ऐसा नहीं हो सका । इसके बाद मैने रियो टेस्ट इवेंट को लक्ष्य बनाया और मुझे लक्ष्य हासिल करने की खुशी है ।’ तमाम प्रशंसाओं के बावजूद त्रिपुरा की इस जिम्नास्ट ने कहा कि वह खुद को स्टार खिलाड़ी नहीं मानती । करमाकर ने कहा ,‘मैं कोई स्टार नहीं हूं । मैं इस तरह से नहीं सोचती । मेरा काम मेहनत करते रहना है । ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करना मेरा लक्ष्य है।’ यह पूछने पर कि ओलंपिक की तैयारी के लिये भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा मुहैया कराया गया बुनियादी ढांचा ठीक था, उसने कहा ,‘‘ मुझे लगता है कि यहां बुनियादी ढांचा अच्छा है । इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में फोम की पिट है और साइ ने मुझसे दो दिन में नया स्प्रिंगबोर्ड लगवाने का वादा किया है । अब मेरा पूरा फोकस अभ्यास पर है ।’ उसने अपना ओलंपिक क्वालीफिकेशन कोच बिशेश्वर नंदी को समर्पित किया जो पिछले 16 साल से उसके कोच है । उसने कहा ,‘ यह काफी कठिन था लेकिन मेरे पास उनके जैसा महान मेंटर है जिनकी वजह से मैं यहां हूं । अगर वो नहीं होते तो मुझे कोई नहीं पहचानता । मैं अपनी उपलब्धि उनको समर्पित करती हूं ।’ नंदी ने कहा कि दीपा ने अभी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं किया है और परफेक्शन की ललक उसे दूर तक ले जायेगी । उन्होंने कहा ,‘ वह परफेक्शन की भूखी है और जिद्दी भी है । वह जो ठान लेती है, करके ही मानती है । उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन अभी बाकी है और वह रियो में इससे बेहतर कर सकती है ।’