नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई को मंगलवार को फटकार लगाते हुए कहा कि क्रिकेट संस्था को ‘पारस्परिक रूप से लाभप्रद समाज’ की तरह चलाया जा रहा है और बोर्ड सदस्यों को आवंटित करोड़ों रुपयों को कैसे खर्च किया गया इसके लिए स्पष्टीकरण नहीं मांगकर उन्हें ‘व्यावहारिक रूप से भ्रष्ट’ बना रहा है। भारतीय क्रिकेट बोर्ड के कोष आवंटन और खर्चे की समीक्षा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछड़े हुए राज्यों को क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए पैसा नहीं देने पर भी बोर्ड को लताड़ लगाई और कहा कि उसने खेल को बढ़ावा देने के लिए कुछ नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई द्वारा विभिन्न राज्यों से भेदभाव की भी आलोचना की। बीसीसीआई के संचालन में बड़े ढांचागत बदलाव के लिए न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा की अगुआई वाली समिति के कार्यों की सराहना करते हुए पीठ ने कहा, ‘यह कोई साधारण पैनल नहीं है। यह ऐसी समिति है जिसमें हमें पूरा भरोसा है। यह न्यायाधीशों की समिति है और इसके निष्कर्षों पर भरोसा करना होगा। हम यह नहीं कह सकते कि इसके निष्कर्ष प्रतिकूल हैं।’
न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति एफएमआई खलीफुल्ला की पीठ ने कहा, ‘विशेषज्ञों और बड़े पैमाने पर लोगों से सलाह मशविरे के बाद वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं और सिफारिशें भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने की हैं जो अनुभवी हैं और वे कुछ नतीजों पर पहुंचे हैं।’ बीसीसीआई सुप्रीम कोर्ट की शरण में आया था और उसने कहा था कि लोढ़ा पैनल की कुछ सिफारिशों को उसने स्वीकार कर लिया है जबकि अन्य को लागू करने में परेशानियां हैं क्योंकि इसका बोर्ड के संचालन पर विस्तृत असर पड़ेगा। बीसीसीआई द्वारा पिछले पांच साल के कोष आवंटन और खर्चे के विवरण पर पीठ ने कहा, ‘29 राज्यों में से 11 को एक भी पैसा नहीं किया और कोई कोष नहीं। आपने उन्हें कुछ नहीं दिया। यह अच्छा भविष्य नजर नहीं आ रहा।’ पीठ ने कहा, ‘लोढ़ा समिति से हमें इस तरह के संकेत मिले हैं कि कुछ राज्यों को आप भारी भरकम राशि जारी कर रहे हैं और आपने इसका खर्चा राज्यों पर छोड़ दिया है। भारी भरकम राशि के खर्च के लिए स्पष्टीकरण नहीं मांगकर आप लोगों को व्यावहारिक रूप से भ्रष्ट कर रहे हो।’