नई दिल्ली: आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज गुरुवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए कहा कि अमेरिका में बैंकों के विफल होने से वित्तीय संकट मुद्दा बना है। भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया। रेपो दर 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने आम सहमति से नीतिगत दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में जारी पुनरुद्धार को बरकरार रखने के लिये हमने नीतिगत दर को यथावत रखा है, लेकिन जरूरत पड़ने पर हम स्थिति के हिसाब से कदम उठाएंगे।
गवर्नर दास ने कहा कि बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय प्रणाली मजबूत बनी हुई है। आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं, 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। मुख्य मुद्रास्फीति ऊंची बनी हुई है।
उनका कहना है कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 में मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत रहेगी। पहली तिमाही में यह 5.1 प्रतिशत पर होगी। रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति में नरमी आएगी। मुद्रास्फीति पर अंकुश के प्रयास जारी रहेंगे। शक्तिकांत दास ने कहा कि बीते वित्त वर्ष में भारतीय रुपया व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ा है। रिजर्व बैंक इस पर निगाह रखेगा।
बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही और चालू वित्त वर्ष में चालू खाते का घाटा (कैड) कम रहेगा। देश में बाहर से मनीऑर्डर (रेमिटेंस) के मामले में खाड़ी सहयोग परिषद के देश प्रमुख स्रोत; 2022 में रेमिटेंस 107.2 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चस्तर पर है। दास ने कहा कि विभिन्न बैंकों में बिना दावे वाली जमा राशि का पता लगाने के लिए रिजर्व बैंक केंद्रीयकृत पोर्टल स्थापित करेगा।
बता दें कि हाल में उद्योग संघों ने भी सरकार और आरबीआई से ऐसी ही मांग की थी कि रेपो रेट को अब और न बढ़ाया जाए। इन लोगों का कहना है कि महंगाई काफी समय से काबू में और इसका स्तर सामान्य बना हुआ है। इसलिए रेपो रेट में बदलाव न किया जाए। अमूमन देखा गया है कि महंगाई को काबू में रखने के लिए आरबीआई रेपो रेट में बदलाव करता रहा है।
जानकारों के अनुसार पिछले वित्त वर्ष में रेपो रेट 6 बार में 2.50% बढ़ी है। ऐसे बढ़ी रेपो रेट
22 मई 2020: 4 %
03 मई 2022: 4.40 %
08 जून 2022: 4.90%
05 अगस्त 2022: 5.40%
30 सितंबर 2022: 5.90%
08 दिसंबर 2022: 6.25%
08 फरवरी 2023: 6.50%
बता दें कि मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग हर दो महीने में होती है।
रेपो रेट क्या है
रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों को दिए जाने वाले कर्ज की दर को रेपो रेट कहते हैं। बैंक इस चार्ज से अपने ग्राहकों को लोन प्रदान करता है। रेपो रेट कम होने का अर्थ है कि बैंक लोगों को कम ब्याज दर पर लोन देगा और अगर यह बढ़ती है तो बैंक अपने लोन महंगा कर देता है और लोगों की ईएमआई भी बढ़ जाती है, या कहें तो लोन महंगे हो जाते हैं।