नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि आम बजट 2023-24 में नई आय कर प्रणाली को लागू करने की जो व्यवस्था की गई है उससे आम जनता के हाथ में खर्च करने के लिए ज्यादा राशि बचेगी। लोकसभा में आम बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने बजट में उठाये गये कदमों के बारे में बताते हुए उक्त बात कही।
वित्त मंत्री ने 01 फरवरी, 2023 को पेश बजट को राजकोषीय हालात को ध्यान में रख कर तैयार किया गया एक बेहद ही संतुलित बजट बताया जो मध्यम वर्ग व ग्रामीण जनता के साथ ही रोजगार सृजन व ग्रीन ग्रोथ पर भी ध्यान दे रही है, ताकि अगले वित्त वर्ष के दौरान भी भारत को दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना कर रखेगा।
पूंजीगत खर्चे के मद में 10 लाख करोड़ रुपये की राशि को खर्च करने के प्रस्ताव को सीतारमण ने अर्थव्यवस्था को तेजी देने के साथ ही बड़ी संख्या में रोजगार पैदा करने वाला कदम बताया। वित्त मंत्री सीतारण ने विपक्ष की तरफ से लगाए गए आरोपों का गिन-गिन कर जवाब दिया।
उन्होंने कहा, चाहे राज्यों को फंड वितरण का मामला हो या अल्पसंख्यकों के फंड में कटौती का मामला हो या खाद्य सब्सिडी को घटाने की बात हो वित्त मंत्री ने विपक्ष के आरोपों को अपने तर्कों से काटा।
उन्होंने कहा कि पीएम नरेन्द्र मोदी के निर्देश के मुताबिक, केंद्रीय राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी देने में कोई कोताही नहीं की जाती। ना ही अधिभार संग्रह में विभाजन में कोई विलंब किया जाता है। असलियत में पिछले तीन वर्षों में केंद्र सरकार ने संग्रह से ज्यादा राज्यों को दिया। 1,51,053 लाख करोड़ रुपये अधिभार वसूला है लेकिन राज्यों को 2,37,116 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया है।
राज्यों के लिए बजट में 7.98 लाख करोड़ रुपये आवंटित
इसके साथ ही राज्यों को बजट में 7.98 लाख करोड़ रुपये आवंटन होने की बात कही गई है जो चालू वित्त वर्ष के मुकाबले 1.55 लाख करोड़ रुपये ज्यादा है। चालू वित्त वर्ष में केंद्रीय राजस्व संग्रह सरकार के उम्मीद से बेहतर होने की उम्मीद है इसलिए राज्यों को भी ज्यादा आवंटन होगा। वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि मार्च, 2023 के लिए केंद्रीय राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी इसी महीने यानी फरवरी में ही दे दी जाएगी।
नई कर व्यवस्था लोगों के लिए फायदेमंद
नई कर व्यवस्था को बहुत ही आकर्षक बताते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इसमें सात लाख आय तक वालों को कोई टैक्स नहीं लगेगा, जबकि दूसरे वर्गों के लिए टैक्स छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़ा कर तीन लाख रुपये कर दी गई, 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड छूट भी लागू किया गया है, जिससे मध्यम वर्ग को काफी फायदा होगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि इससे मध्यम वर्ग के हाथ में खर्च करने के लिए ज्यादा राशि बचेगी। खाद्य सब्सिडी में कटौती करने के विपक्ष के आरोप को खारिज करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि उर्वरक की कीमतों में भारी वृद्धि होने के बावजूद केंद्र सरकार ने किसानों पर कोई बोझ नहीं डाला है। वर्ष 2022-23 में सरकार ने 1.05 लाख करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी का अनुमान लगाया था, लेकिन वास्तविक तौर पर यह राशि 2.25 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।
इसी तरह से मनरेगा के तहत आवंटित फंड में कटौती के बारे में कहा कि यह मांग आधारित कार्यक्रम है। उन्होंने पिछले चार वित्त वर्षों का आंकड़ा दिया कि किस तरह से मोदी सरकार ने हर वर्ष मनरेगा को बजटीय अनुमान से ज्यादा राशि वास्तविक तौर पर दिए हैं, जबकि यूपीए के कार्यकाल में उल्टा होता रहा है।
विपक्ष ने लगाया था आरोप
विपक्ष ने आरोप लगाया था कि यह सरकार गरीबों का ध्यान नहीं रखती है। उक्त आंकडे़े रखते हुए वित्त मंत्री ने कहा, 'गरीबों के बारे में आपको नहीं बोलना चाहिए क्योंकि आपका घर शीशे का है।' कांग्रेस के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने अपने भाषण में सरकार पर अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया और अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में कटौती का मुद्दा उठाया था।
इस पर सीतारमण ने कहा कि मोदी सरकार के आठ वर्षों में अल्पसंख्यक समुदाय के 21,100 छात्रों को छात्रवृत्ति दी गई है, जबकि यूपीए के कार्यकाल में वर्ष 2006 से वर्ष 2014 के दौरान 17,200 छात्रों को छात्रवृत्ति दी गई थी। यह सरकार सबका साथ-सबका विकास पर भरोसा करती है और किसी भी समुदाय या वर्ग के साथ भेदभाव नहीं करती।