नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): वित्तमंत्री ने बताया कि कोयला, खनिज, रक्षा उत्पादन सहित आठ क्षेत्रों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोयला क्षेत्र में सुधारों की योजना बनाई गई है। उन्होंने बताया कि कोयला क्षेत्र में सरकार का एकाधिकार खत्म होगा। सरकार कोयले की खुली नीलामी करेगी। अब कोई भी कोयला खादान के लिए बोली लगा सकेगा। शीघ्र ही पचास खादानों की नीलामी की जाएगी। कोयला क्षेत्र के आधारभूत ढांचे पर पचास हजार करोड रुपये खर्च किए जाएंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि निजी क्षेत्र को कोयले का कॉमर्शल माइनिंग के लाइसेंस राजस्व में हिस्सेदारी की व्यवस्था के तहत दिए जाएंगे।
वित्त मंत्री ने प्रोत्साहन आर्थिक पैकेज की चौथी किस्त की घोषणा करते हुए कहा कि निजी क्षेत्र को प्रति टन निर्धारित शुल्क की जगह राजस्व में सरकार की हिस्सेदारी व्यवस्था के आधार पर कोयले का कॉमर्शल माइनिंग का लाइसेंस दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए नीलामी में लगभग 50 कोयला प्रखंडों को पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि घटिया कोयले के आयात को कम करने और कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है।
खनिज खनन क्षेत्र में सुधारों की घोषणा
वित्त मंत्री ने खनिजों के खनन के क्षेत्र में कई सुधारों की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के लिए एक सपाट समग्र खोज और उत्पादन व्यवस्था लाई जाएगी। वित्त मंत्री ने कहा कि नई समग्र खोज-खनन-उत्पादन व्यवस्था के तहत खनिजों के 500 ब्लॉकों की नीलामी की जाएगी। उन्होंने कहा कि एल्युमीनियम उद्योग की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने के लिए बॉक्साइट और कोयला ब्लॉकों की संयुक्त नीलामी की जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे एल्युमीनियम उद्योग को बिजली की लागत में कमी लाने में मदद मिलेगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि खनन पट्टे के स्थानांतरण और अधिशेष खनिजों की बिक्री के लिए कैप्टिव (खुद के इस्तेमाल के लिए) और नॉन-कैप्टिव खानों के अंतर को समाप्त किया जाएगा। इससे दक्षता और उत्पादन बढ़ाया जा सकेगा। इसके अलावा, सरकार कोयला खान क्षेत्र से बाहर पहुचाने के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए 50,000 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। उन्होंने कहा कि कोयला गैसीकरण और द्रवीकरण को राजस्व साझेदारी में छूट के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोयला बेड मीथेन (सीबीएम) के उत्पादन को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
वित्तमंत्री ने बताया कि हर मंत्रालय में परियोजना विकास इकाई पर काम होगा। उन्होंने बताया कि पांच लाख हेक्टेयर क्षेत्र में तीन हजार से अधिक सेज बनाए जाएंगे। औद्योगिक समूह उन्नयन के लिए राज्यों में योजनाएं लागू की जाएंगी।