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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा है कि देश की अर्थव्‍यवस्‍था को बढावा देने के लिए घोषित किये गये आर्थिक पैकेज की तीसरी किश्‍त में कृषि और इससे संबद्ध क्षेत्रों को राहत देने पर विशेष ध्‍यान दिया जाएगा। उन्‍होंने नई दिल्‍ली में इस पैकेज के बारे में संवाददाता सम्‍मेलन में बताया कि सरकार ने किसानों के कल्‍याण के लिए कई कदम उठाये हैं। वित्त मंत्री ने बताया कि किसानों के लिए एक लाख करोड रूपये के कृषि बुनियादी ढांचा कोष की घोषणा की गई है। लॉकडाउन के दौरान किसानों से न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य पर 74 हजार तीन सौ करोड रूपये की कृषि उपज की खरीद की गई है।

वित्त मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्‍स्‍य संपदा योजना के माध्‍यम से मछुआरों के लिए 20 हजार करोड रूपये का प्रावधान किया गया है। उन्‍होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान दूध की मांग में 25 प्रतिशत की कमी हुई है। उन्‍होंने बताया कि दुग्‍ध उत्‍पादक किसानों के लिए पांच हजार करोड रूपये का विशेष प्रावधान किया गया है। मधुमक्‍खी पालन को बढावा देने के लिए पांच सौ करोड रूपये का प्रावधान किया जाएगा। श्रीमती सीतारामन ने बताया कि क्षेत्रीय मंडी का नेटवर्क तैयार किया जाएगा।

 

कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 1 लाख करोड़ रुपए

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि किसान देश का पेट भरने के साथ निर्यात भी करता है। अनाज भंडारण, कोल्ड चेन और अन्य कृषि आधारित इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 1 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। कृषि उत्पादक संघ, कृषि स्टार्टअप आदि का भी इसका लाभ होगा।

खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिए 10 हजार करोड़ रुपए

माइक्रो फूड एंटरप्राइजेज (एमएफई) के फॉर्मलाइजेशन के लिए 10 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इससे देश के अलग-अलग हिस्सों के उत्पादों को ब्रैंड बनाया जाएगा। लगभग 2 लाख घाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को इसका लाभ मिलेगा। इससे जुड़े लाखों लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ंगे।  जैसे बिहार का मखाना, जम्मू कश्मीर का केसर, नॉर्थ ईस्ट का बंबू शूट, यूपी का आम है।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के लिए 20 हजार करोड़ रुपए

पीएम मतस्य संपदा योजना के लिए 20 हजार करोड़ रुपए रखे गए हैं। इसके वैल्यू चेन में मौजूद खामियों को दूर किया जाएगा।11 हजार करोड़ रुपए समुद्री मत्स्य पालन और 9 हजार करोड़ रुपए इसके लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए खर्च किए जाएंगे।इससे अगले 5 साल में मतस्य उत्पादन 70 लाख टन बढ़ेगा। इससे 55 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा और निर्यात दोगुना होकर 1 लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा। 

नेशनल एनिमल डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम

नेशनल एनिमल डिजीजी कंट्रोल प्रोग्राम के तहत मुंह पका-खुर पका बीमारी से बचाने के लिए जानवरों को वैक्सीन लगाया जाएगा। इस पर 13,343 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इस योजना के तहत 53 करोड़ पशुओं को टीका लगाया जाएगा। अभी तक 1.5 करोड़ गाय और भैसों को टीका लगाया गया है। इससे दूध उत्पादन में वृद्धि होगी और उत्पादकों की गुणवत्ता बेहतर होगी।

पशुपालन में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए 15 हजार करोड़

पशुपालन में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए 15 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इससे अधिक दूध उत्पादन होगा और प्रोसेसिंग यूनिट आदि लगाए जाएंगे।

हर्बल खेती के लिए 4 हजार करोड़ रुपए

हर्बल खेती के लिे 4 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। 10 लाख हेक्टेएयर में यह खेती होगी। इससे किसानों को 5 हजार करोड़ रुपए की आमदनी होगी। इनमें से 800 हेक्टएयर की खेती गंगा के दोनों किनारों पर की जाएगी। 

मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रुपए

मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इससे 2 लाख मधुमक्खी पालकों को लाभ होगा और उपभोक्ताओं को बेहतर शहद मिलेगा। कृषि आधारित मधुमक्खी पालन किसानों को अतिरिक्त आय उपलब्ध कराता है।

कृषि उत्पाद कीमत और गुणवत्ता 

किसानों के लिए सुविधाजनक ऐसा कानूनी ढांचा बनाया जाएगा, जिसके तहत उसे निश्चित आमदनी हो।, जोखिम रहित खेती हो और गुणवत्ता मानकीकरण किया जाएगा। इससे किसानों के जीवन में बदलाव जाएगा। वह बड़े खुदरा व्यापारी, निर्यातकों के साथ पारदर्शिता के साथ काम कर सकेंगे। ताकि किसानों का उत्पीड़न ना हो। 

टॉप टु टोटल के लिए 500 करोड़

इस योजना के तहत 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। पहले यह टमाटर, आलू और प्याज के लिए था लेकिन अब अन्य सभी फल और सब्जियों के लिए लागू किया जाएगा। जो खाद्य पदार्थ नष्ट हो जाते थे और दबाव में कम मूल्य में बेचना पड़ता है। इस योजना के तहत सभी फल सब्जियों को लाने से 50 फीसदी सब्सिडी मालभाड़े और 50 फीसदी स्टोरेज, कोल्ड स्टोरेज के लिए दी जाएगी।  

किसान जहां चाहें वहां बेच सकेंगे उत्पाद

किसान को अभी एपीएमसी लाइसेंस धारकों को ही अपना उत्पाद बेचना पड़ता है। किसानों को अपने उत्पाद की सही कीमत मिले और दूसरे राज्यों में जाकर भी उत्पाद बेच सकें उसके लिए कानूनी में बदलाव किया जाएगा। एक केंद्रीय कानून के तहत उन्हें किसी भी राज्य में अपना उत्पाद ले जाकर बेचने की छूट होगी।

आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन

कृषि क्षेत्र में प्रतिस्पार्धा और निवेश बढ़ाने के लिए 1955 के आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव किया जाएगा। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। किसानों को कम दाम पर उत्पाद बेचना पड़ता था। तिलहन, दलहन, प्याज, आलू को अनियमित किया जाएगा ताकि किसानों को लाभ मिल सके।  आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन के बाद प्रसंस्करण करने वालों तथा मूल्य श्रृंखला के अन्य भागीदारों पर भंडारण सीमा लागू नहीं होगी। राष्ट्रीय आपदा, भुखमरी जैसी आपात स्थितियों में ही भंडारण सीमा रहेगी।

इससे पहले बुधवार और गुरुवार को उन्होंने एमएसएमई, नौकरी पेशा, टैक्सपेयर्स, किसानों, छोटे व्यापारियों, फेरीवालों और प्रवासी मजदूरों के लिए राहत का एलान कर चुकी हैं। कोरोना वायरस संकट को अवसर में बदलने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान करते हुए देश के सामने 'आत्मनिर्भर भारत' के महत्वाकांक्षी मिशन का एलान किया था। इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लगातार दो दिन पैकेज का ब्योरा देश के सामने रखा है।

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