नई दिल्ली: कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह से सुस्त हुई अर्थव्यवस्था और आम लोगों को राहत देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से घोषित 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की दूसरी किस्त का एलान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कर रही हैं। नैशनल मीडिया सेंटर में एलान करते हुए वित्त मंत्री ने कहा आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए आज पैकेज का दूसरा किस्त पेश कर रही हूं। इसका फोकस प्रवासी मजदूरों, फेरीवालों, छोटे कारोबारियों और किसानों पर होगा।
वित्त मंत्री ने कहा, अगले दो महीने तक सभी प्रवासी मजदूरों को बिना कार्ड के ही 5 किलो प्रति व्यक्ति गेहूं या चावल और एक किलो चना प्रति परिवार देगी। इससे करीब 8 करोड़ प्रवासियों को फायदा होगा। इस पर करीब 3500 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसका पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी। वन नेशन वन राशन कार्ड को अगस्त 2020 तक लागू किया जाएगा। इससे 23 राज्यों को 67 करोड़ लोगों को फायदा मिलेगा। पीडीएस योजना के 83 फीसदी लाभार्थी इससे जुड़ जाएंगे। मार्च 2021 तक इसमें 100 फीसदी लाभार्थी जुड़ जाएंगे। देश के किसी भी कोने में लोग अपने राशन कार्ड से उचित मूल्य दुकान से राशन ले सकते हैं।
पचास लाख रेहडी-पटरी वालों के लिए ऋण सुविधा की घोषणा
आज नई दिल्ली में आर्थिक पैकेज के बारे में दूसरे संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि रेहड़ी-पटरी वाले दुकानदारों और फेरी लगाकर बिक्री करने वालों के लिए पांच हजार करोड रुपये की ऋण सुविधा की घोषणा की गई है। वित्त मंत्री ने कहा कि इससे रेहडी-पटरी वाले 50 लाख व्यापारियों को 10-10 हजार रुपये की कार्यशील पूंजी दी जाएगी। जनजातीय लोगों के लिए वृक्षारोपण कार्यक्रम के जरिए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गयी है। श्रीमती सीतारामन ने कहा कि जनजातीय लोगों को वृक्षारोपण परियोजनाओं में रोजगार देने की छह हजार करोड रुपये की योजना पहले ही चल रही है।
वित्त मंत्री ने प्रवासी मजदूरों और शहरी गरीबों के लिए सरकार किफायती किराया आवास योजना की घोषणा की। शहरों में सरकार के धन से निर्मित आवासों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत किफायती किराया आवास परिसर में बदला जाएगा। सरकार और निजी संस्थाओं को आवास क्षेत्र में किफायती किराया आवास विकसित करने के लिए 70 हजार करोड़ रुपए दिए जाएंगे। इससे रोजगार के साथ-साथ इस्पात, सीमेंट, परिवहन और निर्माण संबंधी अन्य सामग्री की मांग पैदा होगी। आवास क्षेत्र में मध्यम आयवर्ग के लिए वित्त मंत्री ने राहत योजना की घोषणा की है। छह से 18 लाख रुपये तक की कीमत वाले मध्यम आय-वर्ग के आवासों की क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम के लिए 70 हजार करोड रुपये की व्यवस्था की गई है और इसे अगले साल 31 मार्च तक बढा दिया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि इससे देश में इस्पात और सीमेंट जैसी भवन निर्माण सामग्री बनाने वाले उद्योगों को फायदा होगा और रोजगार के अवसर बढेंगे।
किसानों को दो लाख करोड का ऋण दिया जाएगा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने बताया कि सरकार ने नाबार्ड के जरिए किसानों के लिए 30 हजार करोड़ रुपए की आपात क्रियाशील पूंजी कोष बनाने की भी घोषणा की। यह किसानों के लिए पहले घोषित किए गए 90 हजार करोड़ रुपए के अतिरिक्त होगा। इसका उद्देश्य तीन करोड़ से ज्यादा किसानों को फायदा पहुंचाना है। वित्त मंत्री ने ढाई करोड़ किसानों को मजबूती देने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए दो लाख करोड़ रुपए की रियायत देने की भी घोषणा की। इस योजना में मछली पालकों और पशु पालको को भी शामिल किया जाएगा। इससे ढाई करोड़ लोगों को रियायती ब्याज दरों पर संस्थागत ऋण मिल सकेगा।
आर्थिक पैकेज का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कोविड-19 महामारी से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए सरकार की ओर से तत्काल उठाये गये कदमों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि तीन करोड छोटे किसानों को चार लाख करोड़ के कर्ज पर ब्याज के भुगतान में 31 मार्च तक की मोहलत दी गयी है। इसके अलावा किसानों को फसली ऋणों के भुगतान में भी मोहलत दी गई है। जो किसान कर्जों की अदायगी करना चाहते हैं उन्हें प्रोत्साहन राशि देने का भी उन्होंने एलान किया। श्रीमती सीतारामन ने कहा कि 25 लाख नये किसान क्रेडिट कार्डों को मंजूरी दी गई है जिससे किसान 86 हजार छह सौ करोड रुपये के 63 लाख ऋण प्राप्त कर सकेंगे
इससे पहले वित्त मंत्री ने हाल में किए गए कामों के बारे में बताया
-वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि 3 करोड़ किसानों ने 4.22 लाख करोड़ रुपये के लोन पर लोन मोराटोरियम की सुविधा ली है। इसके अलावा ब्याज पर छूट, फसलों पर इंसेंटिव को 31 मई 2020 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा 25 लाख नए किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए हैं। इन पर लोन लिमिट 25 करोड़ होगी। -ग्रामीण इलाकों में मार्च और अप्रैल महीने में 63 लाख ऋण मंजूर किए गए, जो करीब 86 हजार 600 करोड़ रुपए का है। गांव में कॉओपरेटिव बैंक की महत्वपूर्ण भूमिका है। इनमें मार्च 2020 में नाबार्ड ने 29 हजार 500 करोड़ रुपए की रिफाइनैसिंग की है। रूरल इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 4200 करोड़ रुपये मार्च 2020 तक दिए गए हैं।
-केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को प्रवासी मजदूरों को खाना और भोजन मुहैया कराने के लिए स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड का इस्तेमाल करने की छूट दी है। इस फंड में केंद्र सरकार ने 11002 करोड़ रुपए दिए हैं। प्रति व्यक्ति को दिन में तीन बार खाना दिया जा रहा है। 12 हजार स्वंय सहायाता समहू ने 3 करोड़ मास्क और 1.20 लाख लीटर हैंड सैनिटाइजर बनाए हैं। गुजरात के बाद अब पूरे देश में सेल्फ हेल्प ग्रुप के लिए पैसा पोर्टल की शुरुआत की जाएगी। दो महीने में 72 हजार नए ग्रुप बने हैं।
-मनरेगा के तहत 14.6 करोड़ व्यक्ति दिवस कार्य 13 मई तक हुए हैं। अब तक इस पर 10 हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। 1.87 लाख ग्राम पंचायतों में 2.33 करोड़ लोगों को काम दिया गया है। पिछले साल मई की तुलना में 40-50 पर्सेंट कामगार बढ़े हैं। इनके लिए मजदूरी को पहले ही 182 रुपए से बढ़ाकर 202 रुपए कर दिया गया है। लेबर कोड से सभी को न्यूनतम वेतन दिलाएगी सरकार
- निर्मला सीतारमण ने कहा कि अभी केवल 30 पर्सेंट कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन मिल पाता है। सरकार लेबर कोड पर काम कर रही है इसके तहत सभी कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन तय किया जाएगा। सभी राज्यों में न्यूनतम वेतन में अंतर को खत्म किया जाएगा। 10 से अधिक कर्मचारियों वाले सभी संस्थानों के लिए देश के सभी जिलों में ईएसआईसी सुविधा को लागू किया जाएगा। 10 से कम कर्मचारी वाले संस्थान भी स्वेच्छा से ईएसआईसी से जुड़ सकते हैं। सभी कर्मचारियों का साल में एक बार स्वास्थ्य परीक्षण कराना अनिवार्य होगा। स्थायी कर्मचारियों को एक साल में ही मिलेगा ग्रैच्युटी का लाभ, अभी 5 साल की सेवा के बाद मिलता है।
इससे पहले बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एमएसएमई सेक्टर के लिए राहत पैकेज का एलान किया था। इसके अलावा टैक्सपेयर्स और नौकरीपेशा लोगों के लिए भी मदद का ऐलान किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोरोना वायरस के कारण मंद पड़ी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और इस संकट को एक अवसर के रूप में बदलने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज में से तीन लाख करोड़ रुपए का कोलेट्रल फ्री ऋण एमएसएमई को दिया जाएगा। इसके साथ ही एमएसएमई के परिभाषा में बदलाव करते हुए मध्यम उद्यम के कारोबार की सीमा को बढ़ाकर 100 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
वित्त मंत्री ने एमएसएमई की परिभाषा में बदलाव, ढ़ांचा गत और आवास क्षेत्र की परियोजनाओं को पुरा करने लिए ठेकेदारों और डेवलपर को बिना हर्जाने के छह माह का अतिरिक्त समय देने, टीडीएस और टीसीएस कटौती की दर में चौथाई कमी करने, आयकर रिटर्न जमा करने का समय नवंबर तक बढ़ाने , ईपीएफओ अंशदान में सहूलियत की भी घोषणा की। इन उपायों से नकदी का प्रवाह बढ़ने और कारोबार में आसानी की उम्मीद है। पहले चरण का पैकेज मुख्यत: छोटी मझोली इकाइयों पर केंद्रित है। इसमें एमएसएमई क्षेत्र के लिए बिना गारंटी के तीन लाख करोड़ रुपये की कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराने और गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) को और अधिक नकदी उपलब्ध कराने के उपाय जैसी कई घोषणायें शामिल हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कल क्या-क्या एलान किए...
1. इस अभियान के तहत एमएसएमई के लिए तीन लाख करोड़ रुपए का कोलेट्रल फ्री ऋण देने का प्रावधान किया गया है। यह ऋण चार वर्ष के लिए होगी और पहले एक वर्ष मूलधन का भुगतान नहीं करना होगा। इसके तहत 100 करोड़ रुपए के कारोबार वाले एमएसएमई को 25 करोड़ रुपए तक का ऋण मिलेगा। बैंकों और एनबीएफसी के लिए शतप्रतिशत गारंटी कवर मिलेगा। यह योजना 31 अक्टूबर 2020 तक उपलब्ध होगी।
2. इसके साथ ही एमएसएमई के परिभाषा में बदलाव किया गया है। एमएसएमई की नई परिभाषा में माइक्रो उद्यम में एक करोड़ रुपए तक का निवेश किया जा सकेगा और इसके कारोबार की सीमा पांच करोड़ रुपए होगी। इसी तरह से लघु उद्यम में 10 करोड़ रुपए का निवेश किया जा सकेगा और इसका कुल वार्षिक कारोबार 50 करोड़ रुपए का होगा। मध्यम उद्यम में 20 करोड़ रुपए तक निवेश होगा और इसका कुल कारोबार 100 करोड़ रुपए तक का होगा।
3. तनावग्रस्त एमएसएमई की मदद के लिए 20 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इससे ऐसे एमएसएमई को लाभ होगा जो एनपीए या नतावग्रस्त है। इससे दो लाख से अधिक एमएसएमई को लाभ होगा। एमएसएमई में 50 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया जायेगा जो बेहतर कारोबार कर रहे हैं। उनके लिए 10 हजार करोड़ रुपए का फंड ऑफ फंड की स्थापना की जायेगी। इससे एमएसएमई को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने में मदद मिलेगी।
4. 31 जुलाई 2020 और 31 अक्टूबर 2020 तक भरे जाने वाले सभी आयकर रिटर्न की अवधि 30 नंवबर 2020 तक बढ़ा दी गई है। इसके साथ ही 30 सितंबर तक भरे जाने वोल कर आडिट रिपोर्ट की अवधि भी 31 अक्टूबर तक बढ़ा दी गई है।
5. पांच लाख रुपए तक के सभी लंबित रिफंड जारी किय जा रहे हैं। अब तक 14 लाख से अधिक रिफंड जारी किय जा चुके है। 30 सितंबर तक की आंकलन तिथि को बढ़ाकर 31 दिसेबर 2020 और 31 मार्च 2021 तक की तिथि को बढ़ाकर 30 सितंबर 2021 कर दिया गया है।